Loading...
अभी-अभी:

बेहोश हो रहे बच्चेः विद्या के भवन में पसरा अंधविश्वास का काला साया

image

Feb 16, 2019

मनोज मिश्ररेकर- राजनांदगांव जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में देश के उज्जवल भविष्य पर एक काला साया मंडरा रहा है। आधुनिकता के दौर में अंधविश्वास की जद में घिरे हुए बच्चे अब बेहोश हो रहे हैं। कहा जाता है कि ज्ञान के उजियारे से जीवन के अंधकार को दूर किया जा सकता है, लेकिन  जब शिक्षा के मंदिर में ही बच्चों को काला साया नजर आए तो वे जागरूकता के लिए कहां जाएं। 

भयभीत बच्चों ने कहा- किसी काले रंग के साये ने किया आक्रमण

राजनांदगांव जिले के खड़गांव से लगे कट्टापार में डिजिटल इंडिया का भविष्य गांव के कुछ लोगों को अंधविश्वास की जद में दिखाई दे रहा है। इस गांव के बच्चों के ज़हन में कुछ बातें घर कर गई है। जिससे बच्चे गश खाकर गिरे जा रहे हैं। शुक्रवार की शाम कुछ इसी तरह का मामला राजनंदगांव शहर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पहुंचा। यहां पर ग्राम कट्टापार के प्राथमिक शाला के बेहोश हो चुके 19 बच्चों को लाया गया। यह बच्चे शुक्रवार की सुबह रोज की तरह स्कूल पहुंचे, लेकिन एक के बाद एक इन बच्चों के बेहोश होने का सिलसिला जारी रहा। लगभग आधे घंटे के अंतराल पर यह बच्चे कई बार बेहोश हो रहे हैं। आनन-फानन में स्कूल प्रशासन गांव वालों की मदद से इन बच्चों को मेडिकल कॉलेज अस्पताल लाया गया। इन बच्चों का कहना है कि इंसानी आकृति में जानवर की तरह दिखने वाला काले रंग की कोई चीज़ उन पर आक्रमण करता है, फिर उन्हें कुछ होश नहीं रहता। 

पिछले कुछ दिनों से बेहोश होने का सिलसिला जारी

कट्टापार के प्राथमिक शाला में पढ़ने वाले इन बच्चों के लगातार बेहोश होने का सिलसिला बीते 9 दिनों से जारी है। शुरू में एक या दो बच्चे ही बेहोश होते थे लेकिन अब यह आफत स्कूल के पूरे बच्चों में आने लगी। 22 बच्चों की दर संख्या वाले स्कूल में शुक्रवार को पहुंचे 19 बच्चे बेहोश हो गए। गांव वालों का मानना है कि गांव में कोई मुसीबत आ रही है, जिसे अनुष्ठान करा कर दूर किया जाएगा। 

बच्चों के लगातार बेहोश होने के सिलसिले को देखते हुये डॉक्टर भी हैरान

कट्टापार क्षेत्र से आए इन बच्चों को देख कर चिकित्सक भी अचरज में है। कक्षा 1 से कक्षा 5 तक में अध्ययन करने वाले 6 वर्ष से 11 वर्ष तक के इन बच्चों में बेहोशी का सिलसिला मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भी जारी है। यह बच्चे 2 से 3 मिनट के लिए बेहोश हो जाते हैं और इसके बाद अपने आप ही होश में आ जाते हैं। होश में आते ही बच्चे किसी काली आकृति का जिक्र करते हैं। इस पूरे मामले में मनोरोग के विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में एक दूसरे से भ्रम की स्थिति बन रही है। 

गांव में जागरूकता की कमी, चल रही मामले की जांच

डिजिटल क्रांति की ओर बढ़ते आधुनिक भारत में इस तरह के मामले से आश्चर्य भी होता है लेकिन अभी भी वनांचल के गांव में अंधविश्वास की क्या स्थिति है यह इस तरह के मामलों को देखकर समझा जा सकता है। बहरहाल इस पूरे मामले में चिकित्सकों के साथ ही प्रशासन ने भी नजर बनाया हुआ है। वहीं गांव में टीम भेजकर मामले की जांच कराई जा रही है। बच्चों में इस तरह के भ्रम के फैलने के पीछे कुछ स्थानीय गांव वाले भी हो सकते हैं। अब जरूरत है तो इस गांव में जागरूकता लाकर इस तरह के भ्रम को दूर करने की।