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कोरबाः डीएमएफ फंड में करोड़ों की गड़बड़ी, तत्कालीन सहायक आयुक्त के खिलाफ पद का दुरूपयोग करने का आरोप

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May 29, 2019

मनोज यादव- डीएमएफ को लेकर सरकार के निर्देश पर जांच का दायरा अब बढ़ता जा रहा है। पिछले दिनों कोरबा के तत्कालीन सहायक आयुक्त के खिलाफ एजुकेशन हब निर्माण व डीएमएफ की राशि में घोटाला किए जाने की एक शिकायत की गई थी। आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग रायपुर के निर्देश पर जांच अधिकारी रहे जिले के पूर्व सहायक आयुक्त बीआर बंजारे ने एक जांच रिपोर्ट तैयार किया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक श्रीकांत दुबे के कार्यकाल में करोड़ों की गड़बड़ी उजागर हुई है। उन्होंने अपने पद का दुरूपयोग तो किया ही, उनके करीबी रहे आदिवासी विकास विभाग के लिपिक, लेखापाल यहां तक कि नौकरों के पास भी करोड़ों की संपत्ति होने का अनुमान है।

अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में जांच अधिकारी रहे बंजारे ने तैयार की रिपोर्ट

दुर्भाग्य तो यह है कि खदान की वजह से बेघर होकर जिंदगी से जूझ रहे लोगों के लिए बने जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) व आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा देने एजुकेशन हब योजना को ही इन्होंने अपने स्वार्थ के लिए भ्रष्टाचार का जरिया बना लिया। जिले के तत्कालीन सहायक आयुक्त के विरुद्ध मिली शिकायत पर यह जांच प्रतिवेदन 6 मार्च एवं 14 मार्च 2019 को आदिम तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग रायपुर मुख्यालय से मिले पत्र का परिपालन करते हुए तैयार किया गया। अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में जांच अधिकारी रहे बंजारे ने कार्यालय में संधारित निर्माण कार्यों की नस्तियों के परीक्षण में अनेक गड़बड़ियों को लिपिबद्ध किया।

जांच में कई तरह की अनियमितताएँ आई सामने

जांच रिपोर्ट के अनुसार एजुकेशन हब निर्माण के लिए टेंडर मैन्युअल पद्धति से जारी किया गया, जिसकी विज्ञप्ति राष्ट्रीय स्तर पर नहीं दिया गया। तीसरे बिंदु के अनुसार मूल कार्य को एसओआर दर से 3.77 फीसदी कम दर पर 46.83 करोड़ रुपये स्वीकृत किया गया। कार्य में कॉटिजेंसी मद प्रावधानित किए बगैर व्यय किया गया, जिनमें मार्बल की खरीदी, वाहन किराया समेत अन्य के लिए अलग से व्यय किया गया। टेंडर में प्राप्त दर से स्वीकृत राशि के बचत अंतर की राशि का भी व्यय बिना सक्षम स्वीकृति के किया गया। निर्माण के उद्देश्य के विपरीत भवन सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ प्लास्टिक्स, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (सिपेट) के हवाले कर दिया गया व एजुकेशन हब परिसर में संचालित आदिवासी छात्रावास को भी सिपेट के लिए गेस्ट हाउस निर्माण के लिए बिना शासन की स्वीकृति के भूमि हस्तांतरित कर दी गई।

इस तरह कई अनियतिता पर तैयार रिपोर्ट में कुल 11 बिंदु पर जांच कर प्रतिवेदन रायपुर मुख्यालय को प्रस्तुत किया गया है। इस रिपोर्ट में महालेखाकार रायपुर के लेखा परीक्षण अवधि दिसंबर 2016 से सितंबर 2018 में भी 334.12 लाख रुपये अधिक भुगतान होने की गंभीर वित्तीय अनियमितता पाए जाने की बात का जिक्र किया है। हालांकि अभी जांच पूरी नहीं होने की बात कही जा रही है।