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नेपानगरः दलित आदिवासी संगठन के आदिवासी कडकडाती ठंड में दे रहे थाने पर धरना, प्रशासन लाचार

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Dec 19, 2019

मनीष जायसवाल - नेपानगर दलित आदिवासी संगठन के आदिवासियों ने नेपानगर थाने का घेराव किया। 24 घंटे से कडकडाती ठंड में धरना देकर थाने के सामने बैठ कर अपनी गिरफतारी की मांग कर रहे। गुरुवार सुबह  करीब 300 से अधिक आदिवासी लोगों ने नेपानगर थाने का घेराव कर लिया जो लगभग 24 घंटो से कडकडाती ठंड मे भी थाने के सामने ही जमे हुए हैं। गुरुवार को घेराव की सूचना लगते ही  नेपानगर एसडीएम विशा माधवानी नेपा थाने पहुंची और आदिवासी लोगों को समझाईश देकर मामले को शांत करने की कोशिश की, लेकिन आदिवासी समाज के लोग नहीं माने और नारेबाजी करते हुए कहने लगे कि हक नहीं तो जेल सही के नारे लगाते हुए अपनी मांगे  पूरी नहीं होने तक धरना और अपनी गिरफतारी की मांग करने लगे। जिसके बाद नेपानगर थाने पर भारी पुलिस बल लगा दिया गया।  

दो दिन से अपने पुनर्वास और मुआवजे के अधिकार को लेकर धरने पर

आपको बता दे कि खरगौन और बडवानी जिले के खारक बांध के डूब प्रभावित में 300 से अधिक आदिवासी मजदूर किसान परिवार दो दिन से अपने पुनर्वास और मुआवजे के अधिकार को लेकर खरगौन जिले में धरने पर बैठे है। इन आदिवासी परिवारों की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेष दिया है कि बांध में डूब प्रभावित आदिवासी किसानों को मुआवजा दिया जाए लेकिन प्रषासन मुआवजा नहीं दे रही है। इसलिए खरगौन-बडवानी सहित बुरहानपुर जिलें के आदिवासी अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठे है।

पूर्व में भी आदिवासियों द्वारा नेपानगर थाने का किया गया था घेराव

आदिवासियों द्वारा पूर्व में भी नेपानगर थाने का लगभग एक सप्ताह से अधिक समय तक घेराव किया गया था। 9 जुलाई 2019 को नेपानगर के समीप ग्राम सिवल के जंगलों में वन विभाग द्वारा अतिक्रमण हटाए जाने की मुहिम में वन विभाग द्वारा किए गए हवाई फायर के विरोध में आदिवासियों द्वारा उच्च स्तरीय जांच एवं दोषी अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई एवं निलंबन की मांग को लेकर धरना दिया गया था। जिसके चलते आदिवासियों द्वारा लगभग एक सप्ताह से अधिक समय तक महिला पुरुषों के साथ में नेपानगर थाने का घेराव किया गया था जिसे हटाने में भी पुलिस प्रशासन पूरी तरह नाकामयाब साबित हुआ था। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य शासन द्वारा उक्त मामले में जांच कमेटी गठित कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के आश्वासन के बाद आदिवासियों द्वारा धरना समाप्त किया गया था।