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भानुप्रतापपुरः नशे में धुत्त होकर शिक्षक आते हैं स्कूल, बच्चों का भविष्य मझधार में अटका

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Dec 14, 2019

राजकुमार दुबे - सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारने का सरकार भरसक प्रयास कर रही है। देश को पूर्णत साक्षरता का दर्जा मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा हर संभव कोशिश भी की जा रही है। स्कूलों की देखरेख, बच्चों की पढ़ाई, यूनीफार्म, भोजन से लेकर योग्य शिक्षकों की नियुक्ति तक में सरकार लगी हुई है। दूसरी तरफ कुछ ऐसे शिक्षक भी हैं जो सरकार के इस प्रयास की मिट्टी पलीत करने में लगे हैं। ऐसा ही एक शिक्षक हैं जो भानुप्रतापपुर विकाखण्ड के मुंगवाल पंचायत के डोंगरीपारा प्राथमिक शाला के प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। वे जब भी विद्यालय आते हैं पूरी तरह से शराब के नशे में धुत्त होकर ही आते हैं। इस हालत में वे स्कूल के नौनिहालों को पढ़ाने पहुंचते हैं। इनकी इस हालत से स्कूल के बच्चे भी शर्मसार हैं। इन शिक्षक का नाम है रैनुराम कोर्राम और ये पिछले 2 वर्षों से इस स्कूल के हेड मास्टर हैं। शिक्षक की ऐसी हालत देख कर भला कौन अभिभावक अपने बच्चों को ऐसे विद्यालय में भेजाना चाहेगा।

ग्रामीण 2 वर्षों से इसकी शिकायत कर रहे, पर लापरवाह बने हुये अधिकारी

जब इन शिक्षक महोदय से यह पूछा गया कि बच्चों को 2 का पहाड़ा आता है तो मास्टर जी जवाब कुछ और दे रहे हैं। यहां तक कि बच्चे हेडमास्टर साहब को गुड मॉर्निंग कह रहे हैं और हेड साहब हैं कि अपने हाथों का बैलेंस संभालने में लगे हैं। जब हमने उनसे जिले के कलेक्टर का नाम पूछा तो वो कलेक्टर का नाम भी नहीं बता सके। जिला शिक्षा अधिकारी का नाम भी नहीं बता पाए। शर्म आती है ऐसी शिक्षा व्यवस्था पर। सरकार लगभग 9 लाख रुपये इनको वेतन देती है और उसके बदले ये फूटी कौड़ी भी सरकार को नहीं देते। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 2 वर्षों से इसकी शिकायत कर रहे हैं पर जिम्मेदार भी कान में रुई डाल कर बैठे हैं। अब कौन बताएगा कि आदिवासी इलाकों में विकाखण्ड मुख्यालय से 12 किमी दूर स्कूलों का ये हाल है तो अंदरूनी स्कूलों की कल्पना करना बेमानी ही होगा। उसके बाद भी इस इलाके के नेता जनप्रतिनिधियों को शर्म नहीं आती यह कहते हुये कि बस्तर विकास कर रहा है।