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“दोहरी मार” मौत के डर से नहीं हो रही लड़कों की शादी न ही बेटियों का ब्याह, जानें क्या है वजह?

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Jan 9, 2019

पुरुषोत्तम पात्रा - ये बैंड बाजा जो आप देख रहे है ये मातम का बैंडबाजा है गरियाबंद जिले के अंतिम छोर पर ओडिसा सीमा से लगे सुपेबेडा गांव में दशगात्र के दिन बैंड बाजा बजाने का रिवाज है यहां मातम का बैंडबाजा तो हर महीने बजता है मगर शादी की शहनाईयां कभी नही बजती, सुपेबेडा गॉव किडनी की बीमारी से जुझ रहा है और किडनी की बीमारी से पिछले तीन साल से अबतक यहां 69 मौते हो चुकी है किडनी की बीमारी से मौत का सिलसिला तीन साल पहले 16 साल की डिलेश्वरी की मौत से शुरु हुआ था जो कल हुई आहिल्या आडिल की मौत तक लगातार जारी है।

5 सालों से नहीं हुई कोई शादी

किडनी की बीमारी से लगातार मौतों के कारण यहां के लडके और लडकियों की शादी नही हो पा रही है शादी की शहनाई का बाजा इस गांव में पिछले 5 साल से सुनाई नही दिया लड़के वाले लडकी देखने आते है और लड़की वाले लड़का देखने आते है मगर रिस्ता पक्का होने से पहले ही टूट जाता है। गांव के बुजुर्ग पुरनधर पुरैना ने बताया कि बेटियों और बेटो की शादी के लिए इस गांव के लोगो को भारी परेशानी झेलनी पड रही है जिसकी मुख्य वजह है गांव में फैल रही किडनी की बीमारी, पुरनधर ने बताया कि 10 साल से ये बीमारी लगातार बढ रही है।

दहशत के साये में जिंदगी जीने पर मजबूर ग्रामीण

15 दिन में एक नया मरीज इस बीमारी की चपेट में आ रहा है और हर महीने एक मरीज की मौत हो रही है इसी डर से दुसरे गांव के लोग इस गांव में अपने बच्चों की शादी करने से कतराते है जिन लोगो को इस गांव की हकीकत मालूम है वे रिस्ता लेकर ही नही आते और जो जानकारी के आभाव में आ जाते है वे बाद में पता चलने पर रिस्ता तोड़ देते है गांव में कुंवारे लड़के लडकियां की तादाद लगातार बढ रही है। स्वास्थ्य विभाग ग्रामीणों की हस संभव मदद का दावा कर रहा है ग्रामीणों का ईलाज हो या फिर रोजगार के साधन उपलब्ध कराने की बात हो शासन ग्रामीणों की मदद के ढिढौरे पीट रहा है मगर हकीकत ये है कि सुपेबेडा के लोग आज भी दहशत के साये में जिंदगी जीने पर मजबूर है।

प्रशासन का गैर जिम्मेदाराना रवैया

900 की आबादी वाले सुपेबेडा गांव के लोग जितने परेशान बीमारी से है उससे कही ज्यादा परेशान अपने बच्चों की शादी को लेकर है, ग्रामीणों की दोनों समस्याओं का एक ही समाधान है, और वो है गॉव में फैल रही बीमारी की रोकथाम, जब तक गॉव से बीमारी का सफाया नही होगा तबतक नौजवानों की शादी होना नामुमकिन है, अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान कब और कैसे करते है, और सुपेबेडा में शादी की शहनाईयां बजना कब शुरु होती है।