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कांकेरः नदियों, तालाबों के तटीय क्षेत्र का हो रहा धड़ल्ले से अतिक्रमण 

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Jun 3, 2019

सुशील सलाम- जंगलों, बीहड़ों का अतिक्रमण तो होता ही रहा है। अब नदियां और तालाब भी इस प्रक्रिया से अछूते नहीं रहे। लोग अपना आशियाना बनाने के लिए धड़ल्ले से नदियों के तटों और तालाबों के किनारे बसेरा कर रहे हैं। इससे नदियों व तालाबों का विस्तार धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है। इसी क्रम में कांकेर के शहर के मध्य से होकर बहने वाली दूध नदी के तट पर अतिक्रमण किया जा रहा है।

न्यायालय के आदेश आने के बाद निर्माण किये गए मकान को तोड़ा जायेगा

अतिक्रमण की शिकायत लगातार होने के बाद प्रशासन द्वारा कार्रवाई करने पहुंची है। नदी के तट पर निर्माण कार्य चल रहे काम को रोका गया और निर्माण कार्य में लगे सभी सामानों को जब्त किया गया है। साथ ही अभी फ़िलहाल न्यायालय के आदेश आने के बाद निर्माण किये गए मकान को तोड़ा जायेगा। वहीं कांकेर शहर में न्यायालय के आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। पर्यावरण की सुरक्षा की मद्देनजर नदियों व तालाबों के तट पर होने वाले निर्माण पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रोक लगा दिया गया है। न्यायालय के निर्देश के बाद भी शहर में नदियों व तालाबों पर अतिक्रमण का सिलसिला बेधड़क जारी है। नदियों के तट पर हो रहे अतिक्रमण के संबंध में जिला प्रशासन व नगरपालिका को लगातार शिकायतें भी मिल रही है। लगातार शिकायत के बाद भी प्रशासन के ढीले ढाले रवैये के चलते दूध नदी के तट पर बेधड़क निर्माण कार्य जारी है।