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रायगढ़ः प्रदूषित हो चुकी केलो नदी पर एनजीटी के निर्देश के बाद ट्रीटमेंट प्लांट लगाने से शहरवासियों में जगी उम्मीद

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May 28, 2019

भूपेन्द्र सिंह- केलो नदी  के जल को प्रदूषण से बचाने के लिए लिये अंततः जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा की लंबी लड़ाई अब रंग लाती दिख रही है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल दिल्ली ने सख्त कदम उठाते हुए रायगढ़ से कनकतुरा तक कुल 15 किलोमीटर में दो सीवरेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने का सख्त दिशा निर्देश जारी किया है। रायगढ़ की जीवन दायिनी केलो नदी अपना अस्तित्व खोते जा रही है। शहर  से होकर गुजरने वाली केलो नदी पूरी तरह प्रदूषित हो चुकी है। इसके पानी के निस्तारी करने से कई गंभीर बीमारी जन्म ले रही है।

इसे लेकर शहर के जाने माने चिकित्सक व केलो नदी के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई में अपनी सहभागिता निभाने वाले डॉ राजू अग्रवाल ने बताया कि केलो नदी में समूचे शहर की गंदगी आकर मिलती है, जिसकी वजह से नदी के पानी का इस्तेमाल करने से चर्म रोग से लेकर निमोनिया, कैंसर तक की बीमारी हो सकती है। नदी में गंदगी की वजह से कई बैक्टीरिया पनप रहे हैं। ऐसे में इसके पानी का इस्तेमाल करने से बचने की जरूरत है।

जांच रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी ने सख्त कदम उठाए

केलो नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए अहम योगदान देने वाले ट्रेड यूनियन कौंसिल व जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा के गणेश कछवाहा ने बताया कि विगत 15 वर्षों में ड्रेनेज सीवरेज वाटर ट्रीटमेन्ट प्लांट लगाने की 8 बार योजना फ़ेल हो चुकी है।  हर बार केवल कोरी घोषणा बन कर रह गया। जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा व विभिन्न जनसंगठनो एवं प्रबुद्ध नागरिकों द्वारा किये जा रहे निरन्तर संघर्ष, लगातार उठाये जा रहे सवालों तथा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी ने सख्त कदम उठाए हैं। ऐसे में एक बार फिर से शहर की जीवन दायिनी केलो नदी के बचाने की उम्मीद जगी है।

जल प्रदूषण खतरनाक सीमा से कई गुना ज्यादा प्रदूषित हो चुका

गणेश कछवाहा का कहना है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच रिपोर्ट के आधार पर एनजीटी ने केलो को बचाने व उसके जल को स्वच्छ रखने दो सीवरेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लनाने की योजना का सख्त दिशा निर्देश जारी किया है। यह रायगढ़ की जनता के लंबे संघर्ष का सुखद परिणाम है। जल प्रदूषण खतरनाक सीमा से कई गुना ज्यादा प्रदूषित हो चुका है। प्रदूषण इतना खतरनाक हो गया है कि पानी निस्तारी योग्य भी नहीं रह गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने छत्तीसगढ़ की  खारुन, हसदेव, शिवनाथ, अरपा व केलो नदी में लगभग 24 जगहों से सेम्पल लेकर जांच रिपोर्ट तैयार की है। पानी की स्वच्छता का मानक  100 मिलीलीटर पानी में अधिकतम 500 बैक्टीरिया से ज्यादा नहीं होनी चाहिये। परन्तु जांच रिपोर्ट के अनुसार मानक पैरामीटर से सैकड़ों गुना ज्यादा बैक्टीरिया पाया गया है जो जन जीवन के लिये काफी खतरनाक है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इसे काफी गंभीरता से लिया है। एनजीटी ने इसे काफी गंभीर मानते हुए तत्काल कार्यवाही करने के सख्त निर्देश जारी किए है।