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कोरबा(छत्तीसगढ़)- तूफान का कहर, मजदूरों की बस्ती हुई तबाह, दर्जनों घर के उड़े छप्पर

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Feb 26, 2019

मनोज कुमार यादव- कोरबा में रविवार की रात को मौसम के मिजाज ने ऐसी करवट ली कि शहर में तबाही मच गई। एकाएक तेज आंधी आई और दर्जनों घर का छप्पर उड़ा ले गई। शहर व उपनगरीय इलाकों में सैकड़ों पेड़ धराशाई हो गए। आंधी की चपेट में आने से एक कंपनी के करीब 17 लोगों की जान आफत में पड़ गई। कोयला खदान के समीप स्थित मजदूरों की बस्ती तबाह हो गई। लोगों ने भाग कर किसी तरह अपनी जान बचाई। घायलों को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

करीब 17 मजदूर मलबे की चपेट में आने से हुये जख्मी

भयावह तस्वीर देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि रविवार की रात आई आंधी का स्तर क्या था। यह नजारा कुसमुंडा खदान में काम करने वाली बी जी आर कंपनी में कार्यरत मजदूरों की बस्ती की है। रात के वक्त तमाम श्रमिक अपने झोपड़ों में आराम कर रहे थे। इस दौरान एकाएक मौसम बदला और बस्ती में चीख-पुकार मच गई। आफत भरी आंधी ने बस्ती को तबाह कर दिया। लोग अपनी जान बचाने यहां वहां भागने लगे। इस दौरान करीब 17 मजदूर मलबे की चपेट में आने से जख्मी हो गए। उनका इलाज निजी अस्पताल में चल रहा है। लोगों को भागने का मौका ही नहीं मिला, क्योंकि इनके आवास कच्चे व घास फूस के थे। लिहाजा एक भी घर महफूज नहीं रहा। रात के अंधेरे में मौके पर भगदड़ मच गई थी। किसी तरह लोगों ने अपनी जान बचाई।

आनन-फानन में घायलों को निजी अस्पताल पहुंचाया गया

प्राकृतिक आपदा को तो रोका नहीं जा सकता, मगर सावधानी बरतकर उससे बचाव जरूर किया जा सकता है। आंधी के तांडव में फंसे मजदूरों को सुरक्षा प्रदान करने में कंपनी द्वारा अक्सर कोताही बरती जाती है। इन मजदूरों से भारी काम तो लिया जाता है, मगर इन्हें सुरक्षित व स्थाई आवास देने में किसी का ध्यान नहीं जाता है। यही वजह है कि आंधी के कहर से पूरी की पूरी बस्ती तबाह हो गई। वहीं 1 दर्जन से अधिक मजदूर घायल हो गए। फिलहाल घायलों की जान तो बच गई, मगर इस घटना से विभिन्न कंपनियों को सबक लेने की जरूरत है ताकि असमय ही किसी को जान ना गंवानी पड़े। बताया जा रहा है कि सूचना मिलने पर कंपनी के अधिकारी मौके पर पहुंचे और आनन-फानन में घायलों को निजी अस्पताल पहुंचाया गया। फिलहाल लोग अपने सामान को समेटकर नया आशियाना बनाने का प्रयास कर रहे हैं।