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महासमुंद की वेदमाता गौशाला जहां गोबर से तैयार की जा रही आकर्षक राखियां, चाइनीज राखियों को देंगी मात

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Jul 18, 2020

रेखराज साहू : गाय के गोबर को सहेजने और उसके सदुपयोग के लिए भूपेश सरकार गो-धन न्याय योजना की शुरुआत करने जा रही है, जिसके तहत सरकार गाय के गोबर की खरीदी भी करेगी। गोबर के सदुपयोग की सरकार की इस मंशा को पूरा कर दिखाया है महासमुंद के वेदमाता गौशाला ने। जहां गोबर से रंग बिरंगी राखियां तैयार की जा रही है। ये राखियां बाजार में आने वाली चाइनीज राखियों को भी मात देने वालीं है। जिनक डिमांड महासमुंद के अलावा राजधानी और अन्य जिलों से भी आ रही है।

चीनी सामानों का किया जा रहा ​बहिष्कार
बता दें कि, चीनी सामानों के बहिष्कार के बीच इस बार रक्षाबंधन में भाइयों की कलाई पर गोबर से बनी राखियां सजेगी। इन सुंदर और आकर्षक राखियों को जिला मुख्यालय के ग्राम भलेसर स्थित वेदमाता गौशाला में तैयार किया जा रहा है। गौरतलब है कि हर साल चीन से बनी राखियां लोगों के लिए आकर्षक का केंद्र होती हैं, लेकिन इस बार बाजार में चीन से आने वाली राखियों को लाेग खरीदने से परहेज कर रहे हैं, और स्वदेशी गोबर से बनी राखियों की डिमांड बढ़ गई है। 

गोशाला में करीब 300 राखियां की जा रही तैयार
यही कारण है कि जिले की गाेशालाओं में गाेबर सहित अन्य संसाधनाें से राखियां तैयार की जा रही है। पहली बार गाेशाला में गोबर से राखियां बनाई जा रहीं है। गाय के गोबर को मोती के आकार में अलग अलग डिजाइन बनाकर उसे रंग, बिरंगे रेशमी धागे में लगाकर आकर्षक राखियां तैयार की जा रही है। इसकी कीमत 10 रुपए से 60 रुपए तक है। रोजाना गोशाला में करीब 300 राखियां बनाई जा रही है।

देशी स्टाइल में बन रही राखियों की लोकल स्तर पर डिमांड
गोबर से देशी स्टाइल में बन रहे इन राखियों की लोकल स्तर पर ज्यादा डिमांड है, रोजाना 200 राखियां बैची जा रही है। गोशाला के सचिव सीताराम सोनी ने बताया कि प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल की सोच गोबर के उपयोग में लाने से ये तरीका अपनाया गया है। गौशाला में गोबर से सभी प्रकार के वस्तुओं का निर्माण किया जा रहा है। सीजन के आधार पर अभी राखियों का निर्माण किया जा रहा है जिसका जिला मुख्यालय सहित रायपुर, पाटन, दुर्ग, फिंगेश्वर, राजिम, गरियाबंद, बलौदाबाजार सहित अन्य स्थानों से राखी की डिमांड आ रही है। बता दें कि, अभी तक 3 हजार से अधिक राखियों का ऑर्डर मिल चुका है।

गौशाला में इन चीजों को किया जा रहा तैयार
गौशाला में राखियों के अलावा गमले, दिये, खाद, कंडे, दाहसंस्कार की लकड़ी और घरेलू सजावट की वस्तुओं को भी तैयार किया जा रहा है। जिसकी तारीफ जिला प्रशासन भी कर रहा है। जिला प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे नरवा, गरवा, घुरवा और बारी योजना के तहत स्व सहायता समूह की महिलाओं को इस गौशाला में लाकर प्रशिक्षण दिया जाता है। इसी का नतीजा है कि इस बार गौशाला के साथ साथ कछारडीह और सांकरा के समूह की महिलाएं भी गोबर से राखी तैयार कर रही है।

बाजार में स्वदेशी राखियों की डिमांड
भाई बहन का पर्व रक्षाबंधन 3 अगस्त को है, इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध कर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहन की हर स्तर से रक्षा करने का संकल्प लेता है। इस त्यौहार को लेकर शहर सहित ग्रामीण अंचलों में रंग बिरंगी राखियों से बाजार सजने लगा है लेकिन इस बार बाजार में चाइना वाली राखियों से ज्यादा स्वदेशी राखियों की डिमांड रहेगी। बाजार में गोशाला में गोबर से बनी राखियां भी देखने को मिलेंगी।