Loading...
अभी-अभी:

किडनी की बीमारी से हो रही एक-एक कर के मौतें, सरकार अब तक रोकथाम से दूर

image

Feb 3, 2019

पुरुषोत्तम पात्रा - ये है सुपेबेडा गांव और ये हैं अपनी किस्मत को कोसते यहां के ग्रामीण पिछले तीन साल से ये ग्रामीण डर के साये में जीने पर मजबूर है, कब किसकी मौत आ जाये कोई भरोसा नही यही सोचकर ये ग्रामीण अपने दिन गुजर बसर कर रहे है तीन साल में किडनी की बीमारी से 70 लोग अपनी जान गंवा चुके है और सैंकडो लोग इस बीमारी से जुझ रहे है इतना लंबा वक्त बीतने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग पीडितों को सही ईलाज मुहैया नही करा पाया और ना ही अब तक बीमारी के कारणों का पता लगा पाया है।

दुषित पानी पीने पर मजबूर ग्रामीण

सरकार ग्रामीणों को हर संभव मदद दिलाने का लगातार दावा करती आ रहीं है वर्तमान सरकार हो या पूर्व की भाजपा सरकार मगर गांव के हालात जैस के तस बने हुए है भाजपा शासनकाल की बात की जाये तो ग्रामीणों को शुद्धपेजल उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा वाटर रिमुव्ल पलॉट लगाया गया और दावा किया गया कि अब ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध होगा मगर ऐसा नही हुआ आज भी यहां के लोग वही दुषित पानी पीने पर मजबूर है।

वैज्ञानिकों ने की कई बार जांचे

गांव में फैली बीमारी को लेकर अब तक कई प्रकार की जांचे हो चुकी है जिसमें पानी और मिट्टी की जांच को अहम माना गया है स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गयी पानी की जांच में फ्लोराइड और आयरन की मात्रा अधिक पाया गया है वहीं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा की गयी मिट्टी की जांच में हैवी मैटल होना बताया गया है इसके अलावा दिल्ली और टाटा इंस्टीटयूट के वैज्ञानिक भी गॉव पहुंचकर कई प्रकार की जांच कर चुके है मगर सरकार अब तक इस नतीजे पर नही पहुंची कि आखिर बीमारी फैलने के आसली कारण क्या है।

ग्रामीणों को भी एहतियात बरतने की सलाह दी

स्वास्थ्य विभाग भी सुपेबेडा के हालातों से भलीभांति वाकिफ है बीमारी के जानकार डॉक्टरों के मुताबिक सुपेबेडा में कुछ तो गडबड है जिसके चलते किडनी की बीमारी इतनी तेजी से फैलती जा रही है हालांकि डॉक्टर फिलहाल ये बताने की स्थिति में तो नही है कि आखिर वो कौन से कारण है जिनके कारण ये बीमारी फैल रही है फिर भी डॉक्टरों ने बीमारी को धीरे धीरे खत्म करने का एक बार फिर भरोसा दिलाते हुए ग्रामीणों को भी एहतियात बरतने की सलाह दी है।

डॉक्टर मरीजों पर कर रहे भद्दे शब्दों का ईस्तेमाल

किडनी की बीमारी से गांव के हालात इतने खराब हो गये है कि हर महीने बीमारी से एक मौत हो रही है और 15 दिन में एक नया मरीज सामने आ रहा है स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों को ईलाज के लिए कई बार मेकाहारा में भर्ती कराया गया मगर ग्रामीणों के मुताबिक ईलाज नही हुआ लगातार मेकाहारा आने जाने के बाद भी जब मरीजों को कोई फायदा नजर नही आया है तो अब मरीजों ने मेकाहारा में ईलाज के लिए जाना ही बंद कर दिया है ग्रामीणों की माने तो वहॉ के डॉक्टर उनके साथ ठीक बर्ताव नही करते बल्कि कई बार तो उनके साथ बातचीत में भद्दे शब्दो का ईस्तेमाल करते है जिसके चलते अब वे किसी भी सुरत में मेकाहारा नही जाना चाहते।

ओडिसा के निजी अस्पतालों में ईलाज करवा रहे मरीज

बीमारी से ग्रामीण पुरी तरह टुट चुके है गॉव के ज्यादातर मरीज ओडिसा के निजी अस्पतालों में ईलाज करवा रहे है इसके लिए ग्रामीण अपने जेवरात, जमीन जायदाद तक बेच चुके है, सरकार से भी अबतक कोई बडी मदद नही मिलने के कारण ग्रामीण सरकार से बहुत नाराज है, बल्कि सालभर पहले दौरे पर आयी राज्यसभा सदस्य छाया वर्मा को ग्रामीण ओडीसा में शामिल करने का आवेदन सौंपकर अपने गुस्सा का ईजहार कर चुके है।

मौतों का सिलसिला सालों से जारी

वैसे तो सुपेबेडा में किडनी की बीमारी और उससे होने वाली मौतों का सिलसिला कई सालों से चल रहा है मगर मामले का खुलासा 21 मई 2016 को गॉव में डिलेश्वरी नामक नाबालिक लडकी की मौत से हुआ इसके बाद शासन हरकत में आय़ा, और नेताओं का भी गॉव पहुंचने का सिलसिला शुरु हुआ, भारतीय जनता पार्टी हो या फिर कांग्रेस या फिर जोगी कांग्रेस सभी पार्टी के बडे नेता एक एक करके ग्रामीणों का हालचाल जानने गॉव पहुंचे और फिर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंककर चलते बने छजकां और कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने हालात के लिए भाजपा की सरकार को जिम्मेदार ठहराया वही भाजपा के चंद्रशेखर साहू ने अब कांग्रेस की जिम्मेदारी बताते हुए ग्रामीणों की मदद करने की मांग की है।