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चुनाव से पहले नहीं होगी अब धान खरीदी, किसान कर रहे मतगणना का इतंजार

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Dec 5, 2018

संदीप सिंह ठाकुर : 1 नवंबर 2018 से पूरे प्रदेश में धान खरीदी की शुरुआत हो चुकी है लेकिन नवंबर महीना गुजरने वाला है लेकिन इस वर्ष धान की खरीदी प्रति वर्ष की अपेक्षा काफी कम मात्रा में हो रही है। जिस तरह से चुनावी माहौल में राजनीतिक पार्टियों के द्वारा लोगों को लुभाने के लिए तरह-तरह के वादे अपने घोषणापत्र में किए गए हैं इसी कड़ी में कांग्रेस पार्टी के द्वारा किसानों को लुभाते हुए समर्थन मूल्य बढ़ाने और धान का बोनस देने के साथ ही कर्ज माफी की घोषणा की गई है जिसे देखते हुए बहुत से ऐसे किसान हैं जिन्होंने अपने धान की बिक्री को चुनाव के नतीजे आने तक रोक दी गई है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश में हाल ही में विधानसभा चुनाव मतदान की दोनों चरण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है जिसका परिणाम 11 दिसंबर को होने वाले मतगणना में साफ हो जाएगा। वहीं पूरे प्रदेश में 1 नवंबर से धान खरीदी केंद्रों में किसानों से समर्थन मूल्य में धान की खरीदी की शुरुआत कर दी गई है। वहीं दिसंबर महीना भी प्रारंभ हो गई है लेकिन अपेक्षा के अनुरूप धान की खरीदी नहीं हो पा रही है। इसको लेकर धान खरीदी केंद्रों में अपनी धान की बिक्री करने आए किसानों और समिति प्रबंधकों से बात करने पर पता चला कि जिस तरह से चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टियों के द्वारा लोगों को लुभाने के वादे किए जाते हैं वह पूरे होते हैं कि नहीं उसे देखने के लिए इस बार सभी किसान बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी के द्वारा अपने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों के कर्ज माफी के साथ साथ धान का बोनस और समर्थन मूल्य को बढ़ाकर 25 सौ रुपए करने का वादा किया गया है जिसे देखते हुए छोटे से लेकर बड़े किसान चाहे वह किसी भी राजनीतिक पार्टी के हो वह सभी इंतजार कर रहे हैं आने वाले चुनावी परिणाम का. जिसके बाद वे सभी अपने धान की बिक्री करेंगे वही समिति प्रबंधकों का कहना है कि जिस तरह से घोषणा पत्र में वादा किया गया है उसके कारण ही धान खरीदी में काफी कमी आई है कई किसानों को बुलाने के बाद भी वह धान बेचने केंद्रों पर नहीं पहुंच रहे हैं।

धान खरीदी केंद्रों में धान की आवक की कमी को लेकर तहसीलदार से बात की गई तो उनका कहना था कि बारिश कम होने के कारण फसल देर से कटाई हुई है जिसके कारण धान खरीदी में कमी आई है। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2018-19 में जिस तरह से धान खरीदी में कमी आई है उसकी अपेक्षा 2017-18 में लोरमी ब्लाक में धान की खरीदी काफी अच्छी हुई थी। लोरमी ब्लाक के कुल 15 धान खरीदी केंद्रों के 24 समितियों में करीब 92हजार क्विंटल धान की खरीदी की गई थी जिसकी अपेक्षा इस चुनावी वर्ष में 1 माह के भीतर काफी कम धान खरीदी हुई है धान की खरीदी अब सिर्फ 2 माह की जानी है अब देखने वाली बात यह होगी कि जिस तरह से सभी किसान चुनाव के नतीजे का इंतजार करते हुए धान के समर्थन मूल्य में इजाफा की आस लगाए बैठे हैं। उन्हें इस चुनाव परिणाम से कितना फायदा होता है।