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बलरामपुरः छुआछूत के चलते निचली जनजाति के लोग दबंगों के आतंक से परेशान

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May 29, 2019

सुनील पासवान- भारत आज 21वीं सदी में प्रवेश कर चुका है लेकिन आज भी ऐसे कई इलाके हैं जहां छुआछूत का बोलबाला है। लोगों को हीन भावना से देखने की प्रवृत्ति आज भी कहीं-कहीं नजर आ ही जाती है। निम्न वर्गीय या जातीय लोगों से छुआछूत की भावना रखी जाती है। ऐसा ही एक गांव है बलरामपुर जिले का, जहां आज भी निचली जनजाति के लोग दबंगों के आतंक से परेशान हैं। जनपद पंचायत रामचन्द्रपुर के ग्राम इन्दरपुर में कुछ ऐसा ही चल रहा है। यहां रह रहे निचली जनजातियों के घरों तक आज भी शासन की मूलभूत सुविधाएं व योजनाएं नहीं पहुंच सकी हैं। न ही उस मोहल्ले में बिजली है और न ही पानी का कोई साधन। गांव में निचली जानजातियों के साथ-साथ दबंगों की बस्ती भी है।

गांव के दबंग रातोंरात बिजली के खंभे को गायब कर देते हैं

निचली जनजातियों के लोगों का आरोप है कि उन्हीं के कारण उनके मोहल्ले में आज तक न बिजली पहुंच सकी है और न ही पानी की सुविधा। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार सर्वे हुआ और उसके बाद बिजली का खंभा भी पहुंचा मगर गांव के दबंग रातोंरात या तो उस खंभे को वहां से गायब कर देते हैं या फिर खंभा पहुंचाने वालों को धमकी देकर भगा देते हैं। ग्रामीण आज भी आदिकालिन जीवन जीने को मजबूर हैं और दबंगों की प्रताडना के शिकार हो रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस निचली जनजाति के मोहल्ले के लिए 14 सोलर प्लेट लगाने की योजना थी और वो गांव तक पहुंच भी गया था, लेकिन सरपंच के घर तक तो प्लेट पहुंचा, लेकिन मोहल्ले तक वह लग नहीं पाया। उसी तरह कई बार बिजली के खंभे गिरे। उसके लिए बकायदा गड्ढे भी खोदे गए, लेकिन आज सिर्फ वहां गड्ढे ही देखने को मिलते हैं।

कई बार शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई

दबंगों की इस हरकत से ग्रामीण थक चुके हैं और कई बार इसकी शिकायत भी की, लेकिन आज तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। मोहल्ले की छात्राओं ने बताया कि छुआछूत की भावना सिर्फ गांव में ही है, स्कूल में उन्हें कोई परेशानी नहीं होती। गांव का दृश्य देखकर वो सिहर उठती हैं। वहीं मामले में एसडीएम की मानें तो उन्हें इस बात की जानकारी है और अब मीडिया की दखल के बाद वो कार्रवाई की बात कर रहे हैं।