Apr 30, 2019
प्रवीण साहू- गोबरा नवापारा नगरपालिका प्रशासन की लापरवाही के चलते नगर के तालाबों का अस्तित्व समाप्ति की ओर है। इससे भविष्य में लोगों को निस्तारी की समस्या से जूझना पड़ सकता है। पालिका के रिकॉर्ड अनुसार नगर में कुल 8 तालाब हैं, जो जीवित हालत में हैं। जबकि वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट है। आज की स्थिति में केवल 4 तालाब जीवित हालत में हैं, जिनमें से केवल शीतला तालाब को ही सही मायनों में साफ़ व स्वच्छ कहा जा सकता है। शेष 3 तालाबों में मौजूद पानी कम होने के साथ-साथ गंदा व बदबूदार है। इन तालाबों की साफ़-सफाई की ओर पालिका जरा भी ध्यान नहीं दे रही है। इनके अतिरिक्त अन्य 4 तालाब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। पालिका की लापरवाही के चलते इन तालाबों में पानी ही नहीं है।
सरोवर-धरोहर योजना अंतर्गत लाखों रुपए पालिका को दिए जाते रहे
ऐसा लगता है कि जानबूझकर इन तालाबों का अस्तित्व समाप्त करने की साजिश रची जा रही है, ताकि इनके सूखने के बाद रसूखदार इन पर अतिक्रमण कर सकें। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि कुछ वर्ष पूर्व पालिका के अधिकारियों व जन प्रतिनिधियों से आपसी सहयोग कर एक भू-माफिया द्वारा कोठा पैठूल नामक तालाब की सूखी जमीन पर अतिक्रमण कर निर्माण किया जा चुका था। जिसे जागरूक नागरिकों की सजगता के चलते नगरीय प्रशासन ने अतिक्रमणमुक्त किया था। बावजूद इसके आज भी उक्त तालाब के साथ-साथ अन्य तालाब को पुनर्जीवन देने की जगह समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जलस्त्रोतों के संरक्षण संबंधी दिए आदेश के बाद राज्य शासन द्वारा समय-समय पर इन तालाबों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए सरोवर-धरोहर योजना अंतर्गत लाखों रुपए पालिका को दिए जाते रहे हैं।
इसके अलावा पार्षद व अध्यक्ष निधि से भी इन तालाबों के पुनर्जीवन की दिशा में कार्य किया जा सकता था, जैसा कि शीतला तालाब के मामले में किया गया है। इस संबंध में वर्तमान पालिका अध्यक्ष का कहना है कि उनके कार्यकाल में पालिका को तालाबों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए एक भी रुपए शासन की ओर से नहीं दिए गए हैं। पूर्ववर्ती अध्यक्ष के कार्यकाल में राशि आई थी, लेकिन उन पैसों का कैसे और कहाँ उपयोग किया गया, उन्हें नहीं मालूम।