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जगदलपुरः नक्सली क्षेत्रों में ग्रामीण नक्सलियों के विरुद्ध खड़े होकर लगा रहे अपने क्षेत्रों में विकास की गुहार

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May 7, 2019

आशुतोष तिवारी- 25 मई 2013 को दरभा के झीरम घाटी में हुए नरसंहार में जहां कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ ही 31 लोग शहीद हुए थे। वहीं बस्तर में नक्सलियों ने अपनी बड़ी छाप छोड़ी थी, लेकिन साल 2017 के बाद इसी जीरमघाटी में नक्सली अब बैकफुट पर नजर आ रहे है। जीरमघाटी में हमला करने वाले कई नक्सली लीडर तो मारे गए, जबकि कई नक्सली पुलिस के डर के चलते बैकफुट पर आ गए थे और इसी डर के चलते उन्होंने सरेंडर कर दिया। कल दरभा इलाका पिछले कुछ सालों की तुलना में नक्सली आंतक से शांत होता नजर आ रहा है क्योंकि कल तक जहां नक्सलियों का ख़ौफ़ देखा जाता था, आज वहीं के ग्रामीण नक्सलियों के विरुद्ध खड़े होकर अपने क्षेत्रों में विकास की गुहार लगा रहे हैं।

नक्सलियों के नेतृत्वकर्ताओं में आ रही है कमी

बस्तर के आईजी विवेकानंद सिन्हा ने जानकारी देते हुए बताया कि बीते 2 वर्षों में झीरम हमले में शामिल डीवीसीएम से लेकर एरिया कमेटी, प्लाटून कमांडर और अन्य कैडर के जहां बड़े नक्सली मारे गए हैं, वहीं इस इलाके में सक्रिय कई नक्सलियों ने पुलिस के समक्ष घुटने टेक दिये हैं औऱ सरकार की मुख्यधारा में लौट गये हैं। इन नक्सलियों के नेतृत्वकर्ताओं में कमी होने के चलते अब नक्सली इस इलाके में बैकफुट पर आ गये हैं। नक्सलियों को इन 2 वर्षों में काफी नुकसान उठाना पड़ा है, जिसका उल्लेख नक्सलियों ने अपने साहित्य और अपने प्रेसनोट में भी किया है। नक्सलियों को लीडरशिप करने वाला विलास उर्फ कैलाश भी पुलिस मुठभेड़ में मारा जा चुका है। कैलाश की किसी समय में बारसूर और मारडूम इलाकों में काफी दहशत थी। लोग डर के चलते गांव में खड़े होने से कतराते थे, लेकिन विलास के मारे जाने के बाद नक्सलियों पर पुलिस का दबाव लगातार बना रहा।

नक्सल विरोधी अभियान के चलते नक्सली अब पड़ रहे कमजोर

दरभा एरिया के महत्वपूर्ण कैडर में जहां कई नक्सलियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया तो कई नक्सली डर के चलते खुद ही सरेंडर कर दिए। इन इलाकों में रहने वाले ग्रामीण कल तक थाने आने में काफी कतराते थे, लेकिन आज अपने गांव के विकास के लिए पुलिस के साथ खड़े होकर नक्सलियों का विरोध करने के साथ ही उनके खिलाफ लड़ाई भी लड़ रहे हैं। हालांकि बस्तर आईजी ने कहा कि बस्तर रेंज में अब भी नक्सल समस्या सबसे बड़ा चैलेंज है। नक्सलियों द्वारा बस्तर में शांति स्थापित ना हो इसके लिए विकास का विरोध, शिक्षा, स्वास्थ्य केंद्रों को बनने नहीं दे रहे हैं जिनसे यह क्षेत्र अविकसित रहे और नक्सली अपना शासन चला सके, लेकिन पुलिस लगातार नक्सलियों के खिलाफ बड़े ऑपरेशन चलाकर जगह-जगह पुलिस कैंप खोल रही है। उसका परिणाम देखने को भी मिल रहा है। 2013 की घटना के बाद से पुलिस द्वारा चलाई गई नक्सल विरोधी अभियान के चलते नक्सली अब कमजोर होते नजर आ रहे है। हालांकि दरभा डिवीजन के नक्सली अपने कमांडर के साथ ही कैडर आदि को भी बदल रहे है और फिर से रिवाइज कर रहे है। पुलिस द्वारा इन क्षेत्रों में ग्रामीणों के लिए किए गए कार्यों के चलते अब ग्रामीण पुलिस के साथ हैं और दरभा इलाके में नक्सलियों का रिवाइज होना भी मुश्किल होता जा रहा है।

2 वर्षो मे बस्तर पुलिस को मिली सफलता

बस्तर पुलिस ने 2017 में 69 नक्सलियों को मार गिराया, 1016 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, 368 नक्सलियों ने आत्मसमपर्ण किया, 197 हथियार बरामद किये गये, 276 आईडी जब्त किये गये, 27 ऑटोमेटिक हथियार जब्त की गई, वहीं 2018 में 112 नक्सली मारे गए, 1134 गिरफ्तार, 462 सरेंडर, 212 हथियार बरामद, 317 आईडी जब्त, 33 ऑटोमेटिक हथियार जब्त हुआ है। इस कार्यवाही की सबसे खास बात यह रही कि इन 2 वर्षों में 85 ईनामी नक्सली मारे गए हैं, जिनके ऊपर 1लाख से लेकर 10 लाख तक का ईनाम घोषित किया गया था। वहीं झीरम घाटी घटना को अंजाम देने वाले पाले, विज्जे, सोनाधर, मंगली, देवा, पीसो आदि बड़े नक्सली मारे जा चुके हैं।