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ठेकेदारों ने निम्न गुणवत्ता स्तर का मकान बनाकर बैगा जनजाति को लगाया चूना, मामूली हवाओं में बह गए मकान

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Jan 1, 2019

विप्लव गुप्ता : बैगा जनजातीय से एक बार फिर शासन की योजनाओं ने मजाक किया है प्रधानमंत्री आवास योजना में बनने वाले मकानों पर ठेकेदार हावी रहे और निम्न गुणवत्ता का स्तर इन मकान बनाकर उन वह गांव को दिया गया जिन्हें योजना का वास्तविक लाभ मिलना था परंतु गड़बड़झाला इस पैमाने पर किया गया कि मकान में रहने से पूर्व ही बैगा जनजाति के आवास मामूली हवाओं में बह गए इस तरह एक बार फिर विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा ठगे गए।

हर गरीब परिवार को पक्की छत देने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत की थी ताकि गरीब का अपने घर का सपना पूरा हो सके पर क्रियान्वयन एजेंसी और अधिकारियों ने ठेकेदारों से सांठगांठ कर कमीशन और एस इन पैसों की ऐसी बंदरबांट की की आवास पूर्ण होने के पहले ही भरभरा कर गिर रहे हैं मामला बिलासपुर जिले के गौरेला विकास खंड के दूरस्थ वनांचल बैगा ग्राम धनौली करंगरा का है जहां शत-प्रतिशत बैगा आबादी निवास करती है प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इन बैगा आदिवासियों को पक्के मकान एलॉट किए गए, पर इन भोले-भाले आदिवासियों से जनपद पंचायत गौरेला के ठेकेदारों ने अधिकारियों से सांठगांठ कर मकान बनाने कर देने की बात कर ली और  मकान इस तरह बनाए गए कि उन्हें माचिस के डिब्बे की संज्ञा देना भी अतिशयोक्ति नहीं होगी, मकान में किस स्तर का मसाला ईट का उपयोग किया गया है इसका पता इस बात से ही लग जाता है कि अचानक आई तेज हवाओं से मकान की दीवारें भरभरा कर गिर गयी। ऐसे एक नहीं तीन चार मकान है जो तेज हवाओं से ढह गए गनीमत यह रही की बैगा आदिवासी अब तक इन मकानों का उपयोग अपने रहने के लिए नहीं कर रहे थे, जिन मकानों में छत ढाल  दी गई है उनकी छतों की गुणवत्ता का आकलन इस बात से किया जा सकता है कि साधारण हाथों के हल्के से स्पर्श से ही रेत और सीमेंट झरकर नीचे आ रही है छत पर उंगलियों सेनिशान बन जा रहे हैं।

कुछ मकान तो ऐसे थे कि बरसात आने के पहले ही छतों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई और छत ढह कर नीचे गिर गई,  दीवारों में ईंट  जोड़ने के लिए किस दर्जे के सीमेंट का इस्तेमाल किया गया है कि साधारण हाथों के हलके धक्के से ही गिराया जा सकता है, यह दीवारे आज या कल नहीं बल्कि महीनों पहले जोड़कर पकाकर तैयार कर ली गई हैं।प्रधानमंत्री आवास में बनने वाले मकानों के लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई का पैमाना तय है पर मकान इतने छोटे हैं कि जमीन पर खड़े होकर ही छत को आसानी से छुआ जा सकता है।

प्रधानमंत्री आवास योजना में हुए इस भ्रष्टाचार के बारे में पूरी जानकारी जनपद पंचायत सीईओ को है,उन्हें भी पता है कि मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें हैं और वह रहने योग्य बिल्कुल भी नहीं है फिर भी वह उसके मरम्मत की बात कह रहे हैं और उनका कहना है कि शीघ्र ही सारे मकान ठीक कर लिए जाएंगे। जहां तक मकानों के बगैर भीम और कॉलम के बनाने का सवाल है तकनीकी अधिकारियों से मदद लेकर उन्हें रहने योग्य और मजबूत बना दिया जाएगा।

पक्के मकान का सपना देखने वाले गरीबों के सपने का मकान अधिकारियों और उनके चहेते ठेकेदारों के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है अब जिले में बैठे उच्चाधिकारियों को इस मामले में सीधे हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है ताकि प्रधानमंत्री के साथ इन गरीबों का भी पक्के और मजबूत आवास के सपनों का घर का सपना पूरा हो सके।