Dec 16, 2025
बंदूकों का सरेंडर: बीजापुर में माओवाद पर करारा प्रहार
नवीन मोरला, बीजापुर : छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे अभियान को एक और बड़ी कामयाबी मिली है। सुरक्षा बलों के लगातार दबाव और राज्य सरकार की आकर्षक पुनर्वास नीति के असर से प्रभावित होकर 34 माओवादी कैडरों ने हथियार डाल दिए। इनमें सात महिलाएं भी शामिल हैं, और इनमें से कई पर कुल 84 लाख रुपये का इनाम घोषित था। यह आत्मसमर्पण क्षेत्र में शांति स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
आत्मसमर्पण की वजह: दबाव और नई उम्मीद
सुरक्षा बलों की संयुक्त कार्रवाइयों ने माओवादी संगठन की कमर तोड़ दी है। डीआरजी, बस्तर फाइटर्स, एसटीएफ, कोबरा और सीआरपीएफ की टीमों ने जंगलों में लगातार ऑपरेशन चलाए, जिससे नक्सलियों का मनोबल टूटा। साथ ही, छत्तीसगढ़ सरकार की 'पूना मारगेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन' नीति ने उन्हें मुख्यधारा में लौटने का रास्ता दिखाया। इस नीति के तहत आत्मसमर्पण करने वालों को तत्काल 50 हजार रुपये की सहायता, कौशल प्रशिक्षण, आवास और रोजगार के अवसर मिलते हैं। आत्मसमर्पित कैडरों ने बताया कि परिवार की चाहत और सम्मानजनक जीवन की इच्छा ने उन्हें यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। ये कैडर दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी, तेलंगाना स्टेट कमेटी और आंध्र-ओडिशा बॉर्डर डिवीजन से जुड़े थे।
क्षेत्र में शांति की नई किरण
यह आत्मसमर्पण बीजापुर में नक्सलवाद के कमजोर पड़ने का स्पष्ट संकेत है। जनवरी 2024 से अब तक जिले में सैकड़ों माओवादी हथियार छोड़ चुके हैं, जबकि कई गिरफ्तार हुए या मुठभेड़ में मारे गए। पुलिस अधीक्षक जितेंद्र कुमार यादव ने बाकी नक्सलियों से हिंसा छोड़ने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियां एक सुरक्षित और सम्मानजनक भविष्य की गारंटी देती हैं। इस घटना से दक्षिण बस्तर में विकास कार्यों को गति मिलेगी और स्थानीय लोग बिना डर के जी सकेंगे।
यह सफलता छत्तीसगढ़ को नक्सल-मुक्त बनाने के संकल्प को मजबूत करती है। आने वाले दिनों में और अधिक कैडरों के मुख्यधारा में लौटने की उम्मीद है।







