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स्कूली बच्चों ने की अधिकारों की मांग, प्रशासन ने दिया सिर्फ आश्वासन

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Feb 28, 2018

बेटी बचाओ बेटी पढाओ, पढ़ेगा इण्डिया तभी तो बढेगा इण्डिया जैसे नारे आपने सरकारी जुबान से सुने होंगे पर इन नारों की सच्चाई और सरकार के विकास के दावों में कितना दम है ये आपको एक रिपोर्ट में बताते है। दुर्ग के अहिवारा विधानसभा में स्थित बानबरद क्षेत्र में धरने पर बैठे स्कूली बच्चे अपने अधिकारों की मांग कर रहे है उनकी मांगे बहुत ज्यादा बड़ी नही हैं यह सरकार से अपने उज्जवल भविष्य के लिए बस एक हाई स्कूल चाहते है ताकि उन्हें दूसरे परिवार के बच्चों की तरह स्कूल न छोड़ना पड़े। 

नगर पंचायत अहिवारा के वार्ड 12 से 15 तक 4 वार्ड के बच्चे अपनी पढाई के लिए बस इस स्कूल पर निर्भर है स्कूल में दर्ज छात्रो की संख्या लगभग 300 के आसपास है माध्यमिक से हाई स्कूल की मांग पिछले १० सालो से जारी है पर प्रशासन हर बार इन्हें आश्वासन का झुनझुना पकड़ा देता है। छात्राओं की माने तो बानबरद से हाई स्कुल की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है और इतने दूर होने की वजह से परिवार वाले भेजना नही चाहते।

वहीं दुर्घटना की वजह से जान का खतरा भी बना होता है पिछले कई साल से कई परिवार के बच्चे हाई स्कूल न होने के कारन अपनी पढाई छोड़ चुके है पर ये बच्चे ऐसा नही चाहते और शायद यही वजह है कि इन्होने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलकर अपने अधिकारों की मांग कर रहे है।

दूसरे दिन तक चल रहे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जब छात्र छात्राओं के समर्थन में ग्रामीण भी उतरे। तहसीलदार, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थानीय लोगों को उन्होंने समझाने का प्रयास भी किया गया पर बच्चे तो शायद जिद ही लेकर बैठे थे उन्होंने अधिकारी को सुनाते हुए यह तक कह दिया कि क्षेत्र में २० लाख रूपये शराब दूकान के लिए, नेताओ और अधिकारीयों के आराम करने के लिए करोडो का रेस्ट हाउस बन सकता है तो बच्चो के अधिकारों के लिए एक स्कूल क्यों नही बन सकता।

फिलहाल अधिकारी अपने एक मिनट के बयान में 4 बार शासन प्रशासन के नाम का राग अलापते दिखे और सिस्टम के इस खेल से एक बार फिर आश्वासन का पिटारा निकाल कर कहा कि क्षेत्रवासियों की मांगे विधायक के माध्यम से शिक्षामंत्री तक ज़रूर पहुँच गयी है पर स्वीकृति मिलने के बाद ही इसका निराकरण किया जायेगा।

देखना यह है कि राज्य सरकार अब इन बेटियों को शिक्षा का अधिकार देने में कब तक उचित कदम उठती है या फिर हर बार की तरह फिर एक बार आश्वासन ही मिलेगा।