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आजादी के 71 साल बाद भी बच्चे झोपड़ी में कर रहे शिक्षा ग्रहण

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Jul 21, 2019

सुशील सलाम : सरकार चाहे कितने भी विकास के दावे करें, लेकिन सरकार की पोल उस वक्त खुल जाती है जब आजादी के 71 साल बाद भी बच्चे झोपड़ी में शिक्षा ग्रहण कर रहे हो। कांकेर के कुछ इलाके ऐसे हैं जहां आज भी विकास की चिड़िया सिर्फ सरकारी कागजों में दिखाई देती है। उत्तर बस्तर कांकेर जिले के इस स्कूल को देखकर आपको पता चल जाएगा कि सरकार के दावे कितने खोखले है।

जी हां कोयलीबेड़ा ब्लॉक के कामतेड़ा गांव में माध्यमिक विद्यालय के बच्चों को इस झोपडी से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। जहां सातवीं औऱ आठवीं मे कुल 17 बच्चे हैं, शिक्षक और स्कूल भवन की कमी के स्थिति के चलते छटवीं मे अब तक कोई भी पालकों ने अपने बच्चों को एडमिशन नहीं कराया है, गांव में पांचवीं के बच्चों को उनके पालक बाहर पढाई करने के लिए टीसी निकाल लिए हैं।

शिक्षकों की बात करें तो केवल एक ही शिक्षक है ,बरसात की दिनों मेढकी नदी मे बाढ अधिक होने से स्कूल नहीं आ पाते तो कभी स्कूल आने के बाद बाढ आने से सप्ताह भर स्कूल में ही रहना पडता है। भवन नहीं है ऐसे बात नहीं भवन निर्माणाधीन है लेकिन पांच साल के बाद भी पूर्ण नहीं हो पाया है स्कूल में न कोई बोर्ड है और न सरकारी टॉयलेट , न बिजली है, न पानी है, और न स्कूल का सामान रखने की जगह है. बरसात में तो सुरक्षित जगह के लिए प्राइमरी स्कूल का सहारा लेना पडता है ,टेबल कर्सी की तो सोच भी नहीं रहे हैं।आखिर पिछडे आदिवासी क्षेत्र के बच्चों को उनके शिक्षा के अधिकार से क्यों वंचित होना पड़ रहा है। और कब तक ऐसे ही चलता रहेगा।