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नवरात्रि 2025: अंबिकापुर के महामाया मंदिर में बिना सिर वाली मूर्ति की पूजा, बैगा और पंडितों की अनूठी परंपरा

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Sep 23, 2025

नवरात्रि 2025: अंबिकापुर के महामाया मंदिर में बिना सिर वाली मूर्ति की पूजा, बैगा और पंडितों की अनूठी परंपरा

 

छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में स्थित मां महामाया मंदिर अपनी अनूठी परंपराओं और रहस्यमयी इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। यहां मां महामाया और मां विंध्यवासिनी की दो मूर्तियां—एक लाल और एक काली—विराजमान हैं। मां महामाया की मूर्ति बिना सिर की है, जिसका सिर हर नवरात्रि में बैगा और कुम्हार बनाते हैं। यह मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है, जहां सालभर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

 महामाया मंदिर की महिमा

अंबिकापुर जिला मुख्यालय से मात्र 3 किमी दूर स्थित यह मंदिर मां महामाया की नगरी के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि अंबिकापुर का नाम मां अंबिका (महामाया) के सम्मान में पड़ा। मंदिर में मां महामाया की लाल मूर्ति और मां विंध्यवासिनी की काली मूर्ति स्थापित है। दोनों मूर्तियों के दर्शन से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नवरात्रि में यहां भारी भीड़ उमड़ती है, और भक्त घंटों दर्शन के लिए प्रतीक्षा करते हैं।

बैगा और पंडितों की पूजा परंपरा

महामाया मंदिर की पूजा परंपरा अद्वितीय है। सबसे पहले बैगा द्वारा मां का श्रृंगार और प्रथम पूजा की जाती है, जिसके बाद पंडित पूजा करते हैं। बैगा पूजा का विशेष महत्व है, जो इस मंदिर की प्राचीन परंपराओं को दर्शाता है। माना जाता है कि मां महामाया स्वयंभू हैं, और उनकी मूर्ति हजारों वर्षों से यहां विराजमान है।

 प्राचीन इतिहास और मान्यताएं

मंदिर का इतिहास सरगुजा राजपरिवार से जुड़ा है। मान्यता है कि सैकड़ों वर्ष पहले यह क्षेत्र घनघोर जंगल था, जहां शेर विचरण करते थे। राजपरिवार ने मां की आराधना शुरू की, और संतान संकट के निवारण के बाद इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया। मां महामाया की बिना सिर वाली मूर्ति की कहानी भी रोचक है। माना जाता है कि मराठा शासकों ने मूर्ति ले जाने की कोशिश की, जिसके कारण मूर्ति खंडित हो गई। इसलिए हर नवरात्रि में नया सिर बनाया जाता है, और पुराना सिर नदी में विसर्जित किया जाता है।

 ज्योति कलश और भक्तों की आस्था

महामाया मंदिर में ज्योति कलश प्रज्वलन की परंपरा भी प्रसिद्ध है। भक्त अपनी मनोकामनाओं के लिए घी और तेल के अखंड ज्योति कलश जलाते हैं, जिसके लिए एडवांस बुकिंग की आवश्यकता पड़ती है। देश-विदेश से भक्त यहां ज्योति कलश जलाने आते हैं। मंदिर की आस्था और चमत्कारों की वजह से यह स्थान भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।

 

Report By:
Monika