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फोन टेपिंग मामले में आरोपी रेखा नायर ईओडब्ल्यू की नोटिस पर बयान दर्ज कराने पहुंची

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May 30, 2019

आशीष तिवारी : फोन टेपिंग मामले में आरोपी बनाई गई रेखा नायर आज ईओडब्ल्यू की नोटिस पर बयान दर्ज कराने पहुंची। ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने करीब चार घंटे तक रेखा नायर से पूछताछ की है। चर्चा है कि इस दौरान कई अहम खुलासे हुए हैं। ईओडब्ल्यू के सूत्र बताते हैं कि गैर कानूनी ढंग से फोन टेपिंग के मामले में एक नया नाम सामने आया है। पूछताछ में रेखा नायर ने सब इंस्पेक्टर रहे राजीव जाट के नाम का जिक्र किया है। रेखा नायर ने अपने बयान में यह कहा है कि निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता के कहने पर राजीव जाट ही फोन टेपिंग किया करता था। इंटरसेप्ट मशीन में किसका नंबर फीड करना है। किसे हटाना है, यह राजीव जाट ही किया करता था। फोन टेपिंग के डाक्यूमेंट भी वही तैयार करता था। मुकेश गुप्ता सीधे राजीव जाट से ही इस पूरे मामले में कम्युनिकेट किया करते थे। नायर ने फोन टेपिंग मामले में अपनी भूमिका को खारिज किया है।

बड़े पैमाने पर फोन टेप 
बता दें कि भूपेश सरकार बनने के बाद नान घोटाले मामले की जांच में तेजी आई थी। इस दौरान ही यह तथ्य सामने आए थे कि गैर कानूनी ढंग से फोन टेप किए जा रहे हैं। ईओडब्ल्यू ने अपनी पड़ताल में यह पाया था कि निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता के कहने पर बड़े पैमाने पर फोन टेप कराए गए। ईओडब्ल्यू के भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि रेखा नायर की फोन टेपिंग मामले में अहम भूमिका सामने आई है, जिसके आधार पर ही मामला कायम किया गया और उन्हें बयान दर्ज कराने बुलाया गया। पता चला है कि ईओडब्ल्यू की जांच में यह तथ्य सामने आया था कि अवैध तरीके से होने वाले फोन टेपिंग की पूरी जिम्मेदारी रेखा नायर ही देखती थी। जांच के दौरान यह पाया गया कि फोन टेपिंग के लिए अवैध तरीके से दो मशीनें खरीदी गई थी। सूत्र बताते हैं कि रेखा नायर कई बड़े राजनेताओं, ब्यूरोक्रेट्स के फोन टेप किया करती थीं। चर्चा है कि ज्यूडिशियरी से जुड़े लोगों के फोन काॅल्स भी टेप किए गए हैं। हालांकि इन तमाम तथ्यों के बीच आज जब रेखा नायर से ईओडब्ल्यू ने पूछताछ की, तो उन्होंने तमाम आरोपों से इंकार कर दिया।

निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता का बयान
इससे पहले फोन टेपिंग मामले में निलंबित डीजी मुकेश गुप्ता का बयान ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया था। तब गुप्ता ने मीडिया से बातचीत में यह बयान दिया था कि चीफ सेक्रेटरी और एसीएस(होम) के लिखित आदेश के बाद ही फोन टेप किए गए। ऐसे में यह गलत कैसे हो सकता है ? लेकिन इस बीच ईओडब्ल्यू  की जांच में दस्तावेजों में भी कई गंभीर किस्म की कूटरचना के प्रमाण मिले थे। ईओडब्ल्यू के सूत्रों का दावा है कि मुकेश गुप्ता ने बिना वैध आदेश के फोन टेपिंग कर लिया था, लेकिन कुछ प्रकरणों में चालान पेश करने की परिस्थितियां बनी। ऐसी स्थिति में फंसने के डर से अवैध फोन टेपिंग को वैध करने के लिए उन्होंने कई दस्तावेजों में कूटरचना करते हुए पिछली तारीख में तैयार कराया। इसके लिए अपने अधीनस्थ अधिकारियों को डराने की जानकारी भी ईओडब्ल्यू को मिली थी। जांच में यह तथ्य भी आने की खबर है कि कई लोगों को डराने के लिए एफआईआर दर्ज कर ली जाती थी और बाद में काम निकल जाने पर उन्हें फाड़ दिया जाता था।

कौन है रेखा नायर?
रेखा नायर निलंबित आईपीएस अधिकारी मुकेश गुप्ता की स्टेनो रही है। सूबे में चर्चा है कि वह मुकेश गुप्ता की बेहद करीबी रही है। सत्ता में भूपेश सरकार के काबिज होने के बाद नान घोटाले में जब जांच की दिशा आगे बढ़ाई गई, तब जाकर कई चौंकाने वाले खुलासे हुए थे। ईओडब्ल्यू में रेखा नायर की पदास्थापना तो थी,लेकिन वहां काम करने वाले लोगों ने उन्हें चार सालों से नहीं देखा था। बकायदा इस दौरान नायर का वेतन जारी होता रहा। जांच में यह भी जानकारी मिली थी कि वह मुकेश गुप्ता के साथ मिलकर अवैध तरीके से फोन टेपिंग में भी लिप्त रही है। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में रेखा नायर को भी आरोपी बनाया है।  उन पर आय से अधिक संपत्ति मामले में भी अपराध दर्ज किया गया है, जिसकी जांच जारी है।