Feb 28, 2024
नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव 2024 के लिए एक तरफ NDA है तो दूसरी INDIA गठबंधन मैदान में है जबकि मध्यप्रेदश की सभी 29 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस अकेले दम पर ही चुनाव लड़ सकती है. उज्जैन-आलोट की लोकसभा सीट को भाजपा का गढ़ कहा जाता है. इस सीट पर बीजेपी एक बार फिर आगे बढ़ रहीं है तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस भी अपनी राजनीतिक हलचले इस सीट के लिए बड़ा रहीं है. कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा 5 मार्च को उज्जैन पहुंचेगी ऐसे में चर्चा तेज हो गई है कि भाजपा के कब्जे वाली इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस अपना कब्जा क्या कर पाएगी ?

उज्जैन-आलोट लोकसभा सीट पर 8 विधानसभा सीट है
उज्जैन-आलोट संसदीय सीट में आठ विधानसभा सीटें आती हैं, जिसमें नागदा-खाचरोद, महिदपुर, तराना (एससी), घटिया, (एससी) उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, बड़नगर, रतलाम आलोट (एससी) शामिल है.
लोकसभा सीट उज्जैन में जातीय समीकरण
उज्जैन आलोट की इस लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण देखें तो यहां पर एसटी एससी- 46.3,% वोट है ओबीसी वर्ग के 18.6% वोट है सामान्य वर्ग के 24.6% वोट है जबकि अलपसंख्य़क के 3.9% वोट है.
कांग्रेस का मिशन 24 उज्जैन
लोकसभा के लिए आरक्षित इस सीट पर कांग्रेस की निगाहे भी तेज हो गई है कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा 5 मार्च को उज्जैन पहुंचेगी इस दौरान राहुल गांधी विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर भी पहुंचेंगे औऱ भगवान महाकाल के दर्शन कर पूजा-अर्चाना करेंगे इसके साथ ही राहुल गांधी यहां कार्तिक मेला ग्राउंड पर आमसभा को संबोधित भी करेंगे.

भाजपा का मिशन 24 उज्जैन
दूसरी तरफ भाजपा ने पहले से ही अपना रोडमैप तैयार किया हुआ है, उज्जैन से ही प्रेदश के मुखिया के तौर पर ओबीसी वर्ग से डॉ. मोहन यादव को चुना गया जिसके साथ ही यहां दलित वोट बैंक को साधने के लिए राज्यसभा के लिए वाल्मीकि समाज से आने वाले संत उमेश नाथ महाराज को चुना गया है. हालांकि उज्जैन-आलोट संसदीय लोकसभा सीट पर भाजपा लगातार जीतती आई है और कांग्रेस लंबे वक्त से यहां प्रयास कर रही है. ऐसे में अब यह देखना अहम होगा कि क्या इस बार फिर से भाजपा कामयाबी हासिल कर पाएगी या नहीं?

उज्जैन-आलोट लोकसभा सीटभाजपा का गढ़
उज्जैन आलोट की लोकसभा सीट भाजपा का गढ़ कहा जाता है यहां पर कांग्रेस को आखिरी बार 2009 में जीत मिली थी. इसके बाद 2014 और 2019 में भाजपा की धमाकेदार जीत हुई थी. उज्जैन की लोकसभा सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है जिसके बाद भी कांग्रेस इस सीट को अपने पाले में नहीं कर पाई 1967 में यह सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित थी. पहली बार जनसंघ ने 1967 में यहां से पहला चुनाव जीता वर्ष जबकि 1984 में इस सीट को कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. उसके बाद फिर 2009 के लोकसभा चुनाव में धुर्वीकरण से कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद्र गुड्डु के पक्ष में गया. हालांकि, फिर 2014 में यहां भाजपा ने वापसी कर ली.

पीछले लोकसभा चुनाव और प्रत्याशी
लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा के अनिल फिरोजिया को करीब 7,91,663 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर रहे बाबूलाल मालवीय को 4,26,026 वोट ही मिले थे. वहीं भाजपा के अनिल फिरोजिया को 63 प्रतिशत तक वोट इस चुनाव में मिले थे. कांग्रेस के बाबूलाल मालवीय दूसरे और बसपा के सतीश परमार तीसरे नंबर पर रहे थे. अभी इस सीट पर भाजपा कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है. जबकि वर्ष 2014 लोकसभा चुनाव में मोदी लहर में इस लोकसभा सीट से भाजपा की ही जीत हुई थी. इस सीट पर प्रोफेसर चिंतामणि मालवीय 641101 वोट मिले थे. कांग्रेस के प्रेमंचद्र गुड्डू 331438 वोट मिले और वे दूसरे नंबर पर थे. जबकि तीसरे नंबर पर बसपा के रामप्रसाद जाटवा रहें. जब कांग्रेस को आखिरी बार 2009 में इस लोकसभा सीट पर जीत मिली थी. 2009 में कांग्रेस से इस सीट पर प्रेमचंद गुड्डू 325905 वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर भाजपा के डॉ. सत्यनारायण जटिया को 311264 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर बसपा नेता बाबूलाल थावलिया थे.
उज्जैन लोकसभा का इतिहास

