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जन्मदिवस विशेष : पिता ने कहा “फिल्मों में गये तो तुम्हें गोली मार दूंगा” फिर भी किया काम बनाई एक अलग पहचान

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Oct 6, 2018

बतौर खलनायक अपने करियर का आगाज कर नायक के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचने वाले सदाबहार अभिनेता विनोद खन्ना ने अपने अभिनय से दर्शकों के बीच अपनी अमिट पहचान बनाई है उनके जन्मदिन के अवसर पर आइए एक नजर डालते है उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्सों पर।

प्रारंभिक जीवन

6 अक्तूबर 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में जन्में विनोद खन्ना ने स्नातक की शिक्षा मुंबई से की इसी दौरान उन्हें एक पार्टी के दौरान निर्माता-निर्देशक सुनील दत्त से मिलने का अवसर मिला। सुनील दत्त उन दिनों अपनी फिल्म 'मन का मीत' के लिए नये चेहरों की तलाश कर रहे थे। उन्होंने फिल्म में विनोद खन्ना से बतौर सहनायक काम करने की पेशकश की जिसे विनोद खन्ना ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। घर पहुंचने पर विनोद खन्ना को अपने पिता से काफी डांट भी सुननी पड़ी। विनोद खन्ना ने जब अपने पिता से फिल्म में काम करने के बारे में कहा तो उनके पिता ने उनपर बंदूक तान दी और कहा यदि तुम फिल्मों में गये तो तुम्हें गोली मार दूंगा। बाद में विनोद खन्ना की मां के समझाने पर उनके पिता ने विनोद खन्ना को फिल्मों में दो वर्ष तक काम करने की इजाजत देते हुये कहा यदि फिल्म इंडस्ट्री में सफल नहीं होते हो तो घर के व्यवसाय में हाथ बंटाना होगा।

फिल्मी सफर

वर्ष 1968 में प्रदर्शित फिल्म 'मन का मीत' टिकट खिड़की पर हिट साबित हुयी फिल्म की सफलता के बाद विनोद खन्ना को आन मिलो सजना, मेरा गांव मेरा देश, सच्चा झूठा जैसी फिल्मों में खलनायक की भूमिकायें निभाने का अवसर मिला लेकिन इन फिल्म की सफलता के बावजूद विनोद खन्ना को कोई खास फायदा नहीं पहुंचा। विनोद खन्ना को प्रारंभिक सफलता गुलजार की फिल्म मेरे अपने से मिली। इसे महज एक संयोग ही कहा जायेगा कि गुलजार ने बतौर निर्देशक करियर की शुरूआत की थी। छात्र राजनीति पर आधारित इस फिल्म में मीना कुमारी ने भी अहम भूमिका निभाई थी फिल्म में विनोद खन्ना और शत्रुध्न सिंहा के बीच टकराव देखने लायक था।

वर्ष 1980 में प्रदर्शित फिल्म कुर्बानी

विनोद खन्ना के करियर की एक और सुपरहिट फिल्म साबित हुयी । फिरोज खान के निर्माण और निर्देशन में बनी इस फिल्म में विनोद खन्ना ने अपनी दमदार अभिनय सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्म फेयर पुरस्कार से नामांकित किये गये। अस्सी के दशक में विनोद खन्ना शोहरत की बुलंदियो पर जा पहुंचे और ऐसा लगने लगा कि सुपरस्टार अमिताभ बच्चन को उनके सिंहासन से विनोद खन्ना उतार सकते है लेकिन विनोद खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कह दिया और आचार्य रजनीश के आश्रम की शरण ले ली।

विनोद खन्ना 27 अप्रैल 2017 को कह गये अलविदा

वर्ष 1997 में अपने पुत्र अक्षय खन्ना को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने के लिये विनोद खन्ना ने फिल्म हिमालय पुत्र का निर्माण किया। फिल्म टिकट खिड़की पर बुरी तरह से नकार दी गयी। दर्शकों की पसंद को ध्यान में रखते हुये विनोद खन्ना ने छोटे पर्दे की ओर भी रूख किया और महाराणा प्रताप और मेरे अपने जैसे धारावाहिकों में अपने अभिनय का जौहर दिखाया विनोद खन्ना ने अपने चार दशक लंबे सिने करियर में लगभग 150 फिल्मों में अभिनय किया है अपने दमदार अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने वाले विनोद खन्ना 27 अप्रैल 2017 को अलविदा कह गये।