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ग्वालियर में वास्तुदोष, नहीं फल-फूल रहे उद्योग

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Jan 15, 2018

**ग्वालियर**। ग्वालियर में वास्तुदोष है, सूर्य और शनि की मौजूदगी से शहर का विकास नहीं हो रहा, उधोग बंद हो रहे हैं, और आगे भी होते रहेंगे। ये हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि ग्वालियर संभाग के ददरौआ धाम के बड़े संत महात्मा कह रहे हैं, लेकिन अब वे इस दोष को खत्म करने के लिए ग्वालियर में 167 कुंडीय रुद्र महायज्ञ में एक करोड़ महामृत्युंजय का जाप करा रहे हैं। वास्तुविद और ज्योतिर्विद के साथ-साथ अब संत महात्मा भी ग्वालियर के वास्तु दोष को मानने लगे है। उनका मानना है कि एक साथ सूर्यमंदिर और शनि मंदिर की मौजूदगी शहर के विकास में लंबे समय से बाधा बने हुए हैं। क्योंकि ग्वालियर शहर को शनि क्षेत्र माना जाता रहा है। इनकी प्रतिमा की स्वयंभू मौजूदगी की वजह से इस क्षेत्र शासकों ने यहां शनि मंदिर बना दिया था। शनि क्षेत्र होने की वजह से बाद में यहां लोहा और मशीनरी से जुड़े उद्योग व व्यवसाय खूब फले फूले। लेकिन 1984 में सूर्यमंदिर की प्राणप्रतिष्ठा हुई। इसके बाद से ही शहर के उद्योगों का पतन शुरू हो गया। बिड़ला के लगाए उद्योगों के साथ ही शहर के सारे प्रतिष्ठित उद्योग खत्म हो गए। जिसके बाद अब महालक्ष्मी के मंदिर बनवाने की कवायद शुरू हो गयी है, जिसमें पहले बड़े स्तर यज्ञ कराया जा रहा है। **इनका कहना है...** सूर्य और शनि पिता-पुत्र हैं...लेकिन दोनों विपरीत हैं, इसलिए ग्वालियर में सूर्य मंदिर बनने के बाद से विकास नहीं हो रहा है।इसलिए महालक्ष्मी का मंदिर बनाया जाना बहुत अति आवश्यक है, क्योंकि ग्वालियर के कम से कम 10 हजार से ज्यादा लोग सूर्य मंदिर की वजह से बेरोजगार हो गए हैं। **महंत रामदास महाराज, दंदरौआ धाम** **कुछ खास बातें....** · शताब्दीपुरम् में बनेगा महालक्ष्मी मंदिर। · 167 कुंडीय रुद्र महायज्ञ में एक करोड़ महामृत्युंजय जाप होगें। · दावा है महायज्ञ के आयोजन के दौरान या पश्चात बारिश होगी। · इलाहाबाद के कारीगरों ने तैयार की यज्ञ शाला, देशी गाय के गोबर से तैयार किए हवन कुंड। · यह यज्ञ संभाग स्तर का सबसे बड़ा यज्ञ है। · इस यज्ञ में दूर दराज तीर्थों से पंडितों को बुलाया गया है। · करीब 5 हजार देशी गाय के दूध से घी तैयार किया जा रहा है। शनि व सूर्य को पिता पुत्र माना जाता है। इनके बीच के रिश्ते भी तनाव पूर्ण माने जाते हैं। शनिमंदिर तो शहर में था ही, लेकिन शहर में सूर्य मंदिर बनवा दिया। इसके बाद 1988 से ग्वालियर की जेसी मिल, ग्रेसिम और सिमको फाउंड्री एक-एक कर बंद होते चले गए। देश भर में विख्यात इन उद्योगों के बंद होने के बाद भी सिलसिला बंद नहीं हुआ। मालन पुल में विशाल एमपी आइरन एंड स्टीर का रोलनिंग स्टील पाइप कारखाना अपने पूरे आउटपुट और अच्छे ऑर्डर्स के बावजूद अचानक बंद करना पड़ा। सिलसिला आज भी जारी है, औऱ हॉटलाइन समूह के कारखानों समेत शहर के आसपास की इंडस्ट्रियल एस्टेट्स में करीब 400 उद्योग बंद हो चुके हैं। **करीब आठ साल पहले सुझाया था मंदिर निर्माण का स्थान...** कोणार्क की तरह बनाया गया भव्य सूर्य मंदिर आज शहर और बाहर के सैलानियों का आकर्षण है। इसे खत्म करना न तो उचित है, न ही संभव, लेकिन विद्वान मानते हैं कि सूर्य व शनि के बीच के तनावपूर्ण रिश्तों के बीच महालक्ष्मी शक्तिपीठ स्थापित कर समन्वय स्थापित किया जा सकता है। इसके लिए करीब आठ साल पहले विद्वानों के सुझाए स्थान पर महाल्क्षमी मंदिर बनाने की कवायद शुरू तो की गई थी, लेकिन एक ट्रस्ट बनाने के बाद ही कवायद बंद कर दी गई। तब से महालक्ष्मी मंदिर बन नहीं सका। लेकिन फिर से इस महालक्ष्मी के मंदिर बनवाने की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है।