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देखिए किस कदर हो रही नगरीय निकायों में पैसों की बर्बादी

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Jan 22, 2018

ग्वालियर। नगरीय निकाय किस तरह से पैसों की बर्बादी करते है। अगर इसका उदाहरण देखना है, तो मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में देखा जा सकता है। जहां ग्वालियर जिला पानी के मामले में डेंजर जोन में जा चुका है। शहर के अंदर मौजूदा 56 टंकियों के लिए पानी नहीं है। लेकिन निगम 60 करोड़ की लागत से 43 नई टंकी बनाने जा रहा है। जबकि इन टंकियों को भरने का सोर्स तिघरा डेम है, जो पुरानी टंकियों को नहीं भर पा रहा है। ऐसे में ये नई टंकियों को कैसा भरेगा। क्योंकि अमृत योजना के तहत बनने वाली 43 टंकियों का भरने का सोर्स भी तिघरा डेम है। वैसे चंबल नदी से पानी लाने के लिए सरकारी फाइलें दफ्तर-दफ्तर बीते दस सालों से घूम रही है। लेकिन अभी उसका नतीजा सिफर है। एक बार फिर मध्य प्रदेश की ग्वालियर नगर निगम अमृत योजना के तहत होने वाले कामों को लेकर चर्चा में है। क्योंकि 800 करोड़ रूपए के जो काम ग्वालियर में अमृत योजना के तहत होने वाले है। उनमें कई प्रोजेक्ट ऐसे है, जिनमें बीते सालों में दूसरी योजना के तहत हो चुके है। बावजूद इसके निगम ने फिर से नए प्लान के तहत उन कामों का करने का प्लान बनाया है। जिसमें सबसे अहम प्लान ग्वालियर में पानी की टंकियां बनाने का। जिसमें 60 करोड़ की लागत से 43 नई टंकियां बनाई जानी है। लेकिन विपक्ष का सवाल है, जब ग्वालियर में पानी ही नही है, तो फिर नई टंकियां बनाने के लिए करोड़ों रूपए की राशि का खर्च क्यों। ग्वालियर नगर निगम के विपक्ष का सवाल भी वाजिब है, क्योंकि जो हालत ग्वालियर में पानी के मामले है। वो सत्ता के लोगों से भी नही छुपे है। लेकिन निगम ने पानी के मामले में हवाई डीपीआर बना लिया है। वो सोचने को मजबूर कर रहा है, आखिर हो क्या रहा है। क्योंकि निगम शहर अलग-अलग स्थानों पर 43 नई पानी की टंकी बनने जा रहा है। लेकिन सबसे बड़ा पेंच ये है कि मौजूदा 56 पानी की टंकी तिघरा डेम से भर नही पा रही है। लेकिन निगम नई टंकियों का भरने का सोर्स भी तिघरा डेम बता रहा है। जबकि तिघरा बरसात के पानी से भरता है, जो खुद बीते कई सालों से सूखा पड़ा हुआ है। ऐसे में ग्वालियर के मेयर खुद मान रहे है, कि ग्वालियर पानी के मामले में डेंजर जोन में है। लेकिन अभी तक चंबल नदी से पानी लाने के लिए कोई ठोस प्लान नही बना है, जबकि ग्वालियर में पानी लाने के लिए एक मात्र विकल्प वहीं है। अमृत योजना के तहत ये होगा शहर में— · 225 करोड़ लश्कर पूर्व पानी की टंकी और पाइप लाइन पर खर्च होगें। · 65 एमएलडी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट · 8 एमएलडी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट · 100 किलोमीटर की लाइनें डाली जाएंगी · 174 करोड़ लश्कर दक्षिण पानी की टंकी और पाइप लाइन पर खर्च होगें। · 146 एमएलडी का सीवर ट्रीटमेंट प्लांट · 4 एमएलडी का सीवर ट्रीटमेंट प्लांट · 60 किलोमीटर की सीवर लाइन डाली जाएगी इन दोनों जगहों पर 43 पानी की टंकी बनाने की लागत 60 करोड़ रूपए है। वैसे शहर की 13 लाख से ज्यादा की आबादी को पानी मुहैया कराने के लिए नगर निगम द्वारा चंबल से पानी लाने के लिए जहां करीब 10 साल पहले शुरुआत की थी। आज फिर नगर निगम उसी जगह आ खड़ी हुई है। बावजूद इसके ग्वालियर निगर को अलग-अलग योजनाओं के तहत पैसा तो मिल रहा है। लेकिन वो पानी की टंकी और पाइप लाइन पर खर्च कर रही है। लेकिन उसका विचार इस दिशा में नही है, आखिर इन टंकियों को कैसा भरा जाएंगा।