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म.प्र के सतना जिले के गांवो में नहीं है सड़के, ग्रामीण नरकीय जीवन जीने को मजबूर

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Sep 14, 2018

वरूण शर्मा : वाशिंगटन से अच्छी है मध्यप्रदेश की सड़कें मध्य सरकार विदेश जाकर कुछ ऐसे ही गुणगान कर रहे है। अब जरा मध्यप्रदेश की तस्वीर पर नजर डाले तो सरकार के उन बयानों की हकीकत सामने आ जाती है। मध्यप्रदेश के सतना जिले में कुछ गाँवो में तो सड़के ही नही है बरसात में लोगो का जीवन नारकीय हो जाता है। यहाँ विकास  कोसों दूर है। जी हाँ सतना का जजनगरा गांव विदेश जाकर सरकार के उन बयानों का मजाक बन गया है। जहां ग्रामीण नारकीय जीवन जीने को मजबूर है। आइए दिखाते हैं आजादी के बाद के उस भारत की तस्वीर जिसके नाम की डुगडुगी वाडिंगटन में जाकर मामा जी बजा चुके जहाँ विकास सिर्फ कागजों पर है। इस गाँव में ना सड़क ना बिजली ना पानी ना ही शिक्षा स्वास्थ्य आजद भारत की गुलमे दांस्ता बताने को ये तस्वीर काफी है। जहाँ चुनाव के समय वोटों की खातिर जन प्रतिनिधि विकास कवमहज जुमले देते है।

शिवराज सरकार प्रदेश में भले ही विकास के नाम पर आगामी चुनाव में ताल ठोकने की तैयारी कर रही हो सड़को पर जन आशीर्वाद यात्रा निकाल रहे हो। लेकिन सरकार गांव गांव रोड बिजली स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने को अपना मिशन बताकर जनता के बीच अपनी बात पहुचाने में जुटी हो लेकिन 35 सालों से अधेरे में जी रहा मनकहरी पंचायत का जजनगरा गाँव में चलने को सड़क नही है और आज भी अंधेरे में रात गुजार रहे है। विकास का रथ महज कागजो में दौड़ा रहा है। इस गाँव के लोगो की  आंखे अच्छे दिन की तलाश में पथरा गयी है। शिवराज सरकार की आत्मा जहाँ गाँवो में बसती है वो गाँव मूल भूत सुविधाओ से कोसों दूर है। स्कूल जाने वाले बच्चो के लिए चलने के लिए रास्ते नही है गुटने तक पानी मे घुसकर उन्हें शिक्षा ग्रहण करने जाना पड़ता है। यह गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।

प्रदेश की भाजपा सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के चाहे कितने भी दावे कर ले लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की भ्रष्टाचार नीतियों के चलते भाजपा के यह दावे इस गांव में खोखले साबित हो रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली जनता देश की आजादी के 70 साल के बाद भी नारकीय जिंदगी जीने को मजबूर है। लेकिन एयर कंडीशन कमरे में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों को इससे कोई सरोकार नहीं है। आइए आपको आजादी के पहले भारत दर्शन कराते हैं जी हां जो बाणसागर डूब क्षेत्र से भगाए हुए लोग है। जो आकर मनकहरी पंचायत के जजनगरा गांव में आकर बस गए हैं। इस गांव के लोग आज भी नारकीय जीवन जीने को मजबूर है यह गांव सतना जिले के रामनगर मुख्यालय से मात्र 20 किलोमीटर दूर बसा है। जहां आज भी आजादी के पहले जैसे हालात हैं। 200 घरों की बस्ती मैं आबादी करीब 1500 के आसपास है गांव में बिजली पानी सड़क की समस्याओं के साथ ही शिक्षा की समस्या भी स्थाई रूप से बनी हुई है। हलाकि गांव में 1 साल पहले बिजली की लाइन तो खिंच गयी घरों में मीटर भी लग गए बिल भी आने लगा लेकिन इस लाइन में बिजली नहीं आई है। गांव में मात्र प्राथमिक शाला है प्राथमिक शाला की पढ़ाई करने के बाद आगे की गांव के बच्चों को 2 किलोमीटर दूर स्थित मनकहरी जाना पड़ता है। पांचवी कक्षा के बाद या तो गांव के कई छात्र छात्राएं पढ़ाई छोड़ देते हैं। या फिर गिरते-पड़ते नदी नाला पार करते हुए 2 किलोमीटर दूर जाते हैं।

बारिश का मौसम ग्रामीणों के लिए नारकीय जीवन से कम नहीं होता है। गांव का कच्चा रास्ता होने के कारण बारिश के दिनों में बंद हो जाता है। ऐसे में कोई बीमार हो जाए तो ग्रामीण उसे छोटी सी खाट पर डोली के रूप में बनाकर उपचार के लिए ले जाते है। या गांव में ही झाडफ़ूं क कराने को विवश होते है। बरसात के समय मे बच्चों का स्कूल जाना बंद हो जाता है। कच्चा रास्ता दलदल में तब्दील हो जाता है। ग्रामीण तो घरों में कैद होकर रह जाते है। गांव में ना तो बिजली का माकूल इंतजाम है और ना ही पानी की व्यवस्था ही है। ग्रामीण बिजली पानी सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि मूलभूत सुविधाएं नहीं होने से परेशान हैं। जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के नुमाइंद कभी इस गांव का रुख नहीं करते।