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17 सालों से घुम रही कैंसर विभाग की टर्सरी केयर सेंटर प्रोजेक्ट की फाइल

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Nov 14, 2017

ग्वालियर : जयारोग्य अस्पताल के कैंसर विभाग की टर्सरी केयर सेंटर प्रोजेक्ट बीते सत्रह सालों से फाइलों में घुम रहा है। जबकि इस यूनिट को लगाने की घोषणा साल 2001 से हुई थी, लेकिन अब तक इस यूनिट की डीपीआर ही बन सकी है। जिसे भोपाल भेजा गया है, लेकिन 28 करोड़ से लगने वाली ये यूनिट कब धरातल पर उतरेंगी ये किसी को पता नहीं है।

ग्वालियर में स्वास्थ्य विभाग के लापरवाही का सबसे बड़ा उदाहरण उत्तर मध्य भारत का सबसे बड़ा जयारोग्य अस्पताल है। जहां 17 साल से प्रस्तावित कैंसर की टर्सरी यूनिट की डीपीआर 17 साल बाद बन सकी है।

जबकि यूनिट लगाने की घोषणा 2001 में की गयी थी। इस यूनिट पर केंद्र और राज्य सरकारें 28 करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च करने को तैयार है, लेकिन सिस्टम की उदासीनता के चक्कर में यूनिट फिलहाल फंसी हुई है।

जयारोग्य अस्पताल के कैंसर विभाग ने अब आनन-फानन में डीपीआर बनाकर मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त के पास भेज दी है। जिसको कब हरी झंड़ी मिलेंगी ये फिलहाल कह पाना मुश्किल है, लेकिन इस बीच कैंसर की टर्सरी यूनिट नहीं होने से कैंसर के मरीज और अडेंटर काफी परेशान हो रहे है। उनका कहना है कि सरकारी सिस्टम की लापरवाही का शिकार उन्हें होना पड़ रहा है।

क्या होना था यूनिट में

  •          2001 में कैंसर की टर्सरी यूनिट की घोषणा हुई थी।
  •          डेढ़ करोड़ रूपए स्वीकृत हुए थे, लेकिन लेप्स हो गए।
  •          अब फिर से तेजी आई है, डीपीआर बनाकर भोपाल भेजी गयी है।
  •          28 करोड़ की लागत से कैंसर की टर्सरी यूनिट बनेंगी।
  •          टर्सरी यूनिट में क्लीनिक एक्सीलेटर लगाना है। इस मशीन का उपयोग कैंसर रोगियों की सिंकाई के लिए किया जाता है।

बहरहाल कैंसर की टर्सरी यूनिट का डीपीआर बनाकर अब तैयार है। जिस पर राज्य सरकार की मुहार लगाना है। क्योंकि 28 करोड़ रूपए से स्थापित होने वाली यूनिट में 40 प्रतिशत की राशि का अनुदान राज्य सरकार को करना है।

कैंसर विभाग के एचओडी डॉ अक्षय निगम ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से हरी झंडी मिल गयी है। अब डीपीआर बनाकर भोपाल भेजी गयी है। जैसी ही भोपाल से स्वीकृति मिलती है, काम शुरू कर दिया जाएगा।