Feb 15, 2017
भोपाल। पदोन्नति में आरक्षण मामले की सुनवाई अब 21 फरवरी को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को करीब एक घंटे मामला सुना और सुनवाई आगे बढ़ा दी। सपाक्स के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि ये केस तीन दिन में नहीं सुना जा सकता है और इसी हफ्ते बेंच रिव्यू होना है। यदि बेंच के जज बदले गए, तो मामला फिर से सुनना पड़ेगा। राज्य सरकार सुनवाई की तारीख बढ़वाने को लेकर दो दिन परेशान रही। सोमवार को कोर्ट में स्पेशल अर्जी लगाकर सुनवाई आगे बढ़ाने की मांग की गई थी, लेकिन कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया। मंगलवार को भी सरकार ने मांग दोहराई, पर कोर्ट ने सुनवाई शुरू कर दी। तब वकील व्ही. शेखर ने सरकार का पक्ष रखा।
सपाक्स के पदाधिकारियों ने बताया कि सरकार की ओर से यह भी मांग रखी गई कि बेंच रिव्यू के तहत मामले की सुनवाई तीन सदस्यों वाली पीठ से करवाई जाए। करीब एक घंटे की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि रोस्टर के हिसाब से इसी हफ्ते बेंच रिव्यू होना है। मामला तीन दिन में नहीं सुना जा सकता है। इसलिए तारीख आगे बढ़ाई जा रही है। अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने बताया कि कोर्ट ने बेंच रिव्यू के चलते सुनवाई आगे बढ़ाई है। 21 फरवरी से सुनवाई शुरू होगी। सुनवाई में आदिवासी परिषद की ओर से जाने-माने वकील कपिल सिब्बल पहुंचे थे।
सरकार हाईकोर्ट के फैसले का पालन करे
सामान्य, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के कर्मचारी संगठन सपाक्स के पदाधिकारियों ने कहा कि राज्य सरकार बड़ी मजबूरी के चलते सुनवाई में देरी कराने की कोशिश कर रही है। ऐसा करके सरकार बहुसंख्यक वर्ग के अधिकारियों और कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। कर्नाटक सरकार को लेकर आए फैसले को देखते हुए मप्र सरकार को जबलपुर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ की गई अपील वापस ले लेकर हाईकोर्ट के फैसले का पालन करना चाहिए। इससे अनावश्यक देरी से बचा जा सकता है। पदाधिकारियों ने कहा कि इससे न सिर्फ टैक्स के रूप में मिली जनता की गाढ़ी कमाई बचेगी, बल्कि जनता में सरकार के पक्ष में संदेश भी जाएगा।