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मात्र 22 प्रतिशत नवजात ही पीते हैं माताओं का दूध

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Aug 3, 2017

इंदौर : देश में मध्य प्रदेश कुपोषण में दूसरे नंबर पर हैं। यही वजह हैं कि विश्व  स्तनपान सप्ताह को लेकर सरकार प्रयास कर रही हैं और आंगनबाड़ी के माध्यम से गर्भवती महिलाओं को समझाइश दी जा रही हैं कि प्रसव के तुरंत बाद मां अपने बच्चे को दूध पिलाये, जो अमृत हैं। स्वराज एक्सप्रेस ने जांच पड़ताल में पाया गया कि इंदौर में मात्र 22 प्रतिशत नवजात अपनी माताओं का प्रसव के बाद दूध पी पाते हैं। जिसका एक कारण इंदौर के निजी अस्पतालों में ऑपरेशन से होने  वाले प्रसव हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी ने कहा कि इस समय मनाये जा रहे विश्व स्तनपान सप्ताह में निजी अस्पतालों को  समझाया जाएगा।

1 अगस्त से दुनिया भर के 120 देशों में वर्ल्ड ब्रेस्ट फीडिंग वीक मनाया जा रहा हैं। आकड़ों के मुताबिक ब्रेस्ट फीडिंग की मदद से देश में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्युदर में लगभग 13 फीसदी की कमी लाई जा सकती हैं। जबकि बच्चों को जन्म देने वाली माताएं खुद इस जानकारी से वंचित हैं। स्वराज एक्सप्रेस ने जब पड़ताल की तो पाया कि इंदौर में मात्र 22 प्रतिशत नवजात अपनी माताओं का प्रसव के बाद दूध पी पाते हैं।

इंदौर में ज्यादार प्रसव ऑपरेशन से हो रहे हैं और ऑपरेशन के तुरंत बाद होने वाले बच्चे को पीआईसीयू में एडमिट करने की परंपरा हो गई हैं। पहले तो प्रसव के लिए ऑपरेशन फिर बच्चे को कमजोर बताकर पीआईसीयू में एडमिट करने के मामले के पीछे का सच यह हैं कि निजी अस्पताल मरीज का बिल बढ़ाने के लिए यह सब करते हैं। इसी दौरान नवजात के लिए जरूरी अपनी मां के दूध से वह बच्चा वंचित रहा जाता हैं।

जब स्वराज एक्सप्रेस द्वारा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ अधिकारी से सवाल किया गया तो जानकारी दी कि नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार इंदौर में मात्र 22 प्रतिशत नवजात पैदा होते ही अपनी मां का दूध पी पाते हैं। इस समय मनाए जा रहे विश्व स्तनपान सप्ताह में निजी अस्पतालों को  समझाया जाएगा।