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जल, जंगल और जमीन की लड़ाई को लेकर दलित-आदिवासी ग्वालियर में इकट्टा, निकाली जाएगी पदयात्रा

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Oct 2, 2018

धर्मेन्द्र शर्मा - जल, जंगल और जमीन की लड़ाई को लेकर एक बार फिर देशभर के हजारों की संख्या दलित-आदिवासी ग्वालियर में इकट्टा होने लगे है। एकता परिषद के बैनर पर छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, झारखंड, उड़ीसा, बिहार, आसाम, केरल आदि राज्यों से लोग पहुंच चुके है, जिन्होनें केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ ढोल-मजीरें बजाकर भूमि सत्ताग्रह भी शुरू कर दिया है जो अब 4 अक्टूबर को दिल्ली के लिए कूच करेगें।

निकाली जायेगी पद यात्रा

दरअसल 2012 के आंदोलन में आगरा में मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने आंदोलनकारियों के साथ 10 किलोमीटर तक पदयात्रा की थी इस दौरान भरोसा दिया था कि केंद्र में भाजपा सरकार आने पर एकता परिषद की मांगों को मंजूर कर लिया जाएगा लेकिन अब तक न मप्र में ऐसा हुआ है और न केंद्र की भाजपा सरकार ने इस दिशा में कोई शुरूआत की है। जिसको एकता परिषद ने निर्णय लिया है। वह देशभर के मुख्यमंत्रियों के घेराव के साथ ही 2018 में ग्वालियर से 25 हजार लोगों के साथ पदयात्रा निकालेंगी।

भूमिहीन आदिवासियों का ग्वालियर पहुंचना शुरू

इसी कड़ी में अलग-अलग राज्यों से भूमिहीन आदिवासियों के ग्वालियर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो चुका है इस बार आदिवासियों की लड़ाई सीधे नरेंद्र मोदी सरकार से है इसलिए इस आदोंलंन को अपना समर्थन देने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी 6 अक्टूबर को आदिवासियों भूमिहीनों की आवाज को उठाने के लिए मुरैना पहुंचगें।

भूमि सुधार के लिए अब तक

· जनादेश 2007 के दौरान ग्वालियर से 25 हजार लोगों ने की दिल्ली तक पदयात्रा कर चुके है।

· जनसत्याग्रह के तहत 2012 में एक लाख लोगों ने किया ग्वालियर से दिल्ली कूच।

एकता परिषद की मांगें

· भूमि सुधार नीति की जल्द घोषणा किया जाना।

· आवासीय भूमि अधिकार कानून बनाया जाए।

· भूमि प्रकरणों के लिए फस्ट ट्रैक कोर्ट का गठन।

· राष्टीय भूमि आयोग का गठन किया जाना।

· वन मान्यता अधिनियम के लिए टास्क फोर्स।