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मेघनगरः बाफना पब्लिक स्कूल की तानाशाही, नहीं हुआ शासकीय व सांस्कृतिक आयोजन में शामिल

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Aug 17, 2019

दशरथ सिंह कट्ठा- पूरे भारत देश में स्वतंत्रता दिवस की 73 वीं वर्षगांठ उमंग, उत्साह देशभक्ति गीत के तराने के साथ आजादी का जश्न मनाया जा रहा था, तो वहीं दूसरी ओर सरकारी आदेश की धज्जियां उड़ाते हुए झाबुआ जिले के मेघनगर का बाफना पब्लिक स्कूल अपने तानाशाही रवैया अपनाते हुए, देश की स्वतंत्रता दिवस के जश्न के दिन मेघनगर में आयोजित प्रभात फेरी एवं दशहरा मैदान के शासकीय व सांस्कृतिक आयोजन में सम्मिलित नहीं हुआ।

पूर्व में 8 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों की बैठक मेघनगर जनपद सभाग्रह आयोजित की गई थी। बैठक में अनुविभगगीय अधिकारी पराग जैन ने आदेश दिए थे कि सभी निजी स्कूलों को प्रभात फेरी में निश्चित रूप से आना है व दशहरा मैदान पर होने वाले शासकीय आयोजन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेना है। बैठक के बाद सी.एस.सी. कयूम खान ने लिखित आदेश के साथ मौखिक रूप से बाफना पब्लिक स्कूल को आमंत्रित भी किया। फिर भी अपने आप को रसूख के दम पर बड़ा बताने वाला बाफना पब्लिक स्कूल सरकारी आदेशों की धज्जिया उड़ाता हुआ दिखाई दिया। बच्चे व शिक्षक स्वतंत्रता दिवस की अल सुबह प्रभात फेरी में नहीं आए। दशहरा मैदान पर होने वाले देश भक्ति सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी सम्मिलित होना, मुनासिफ नहीं समझा।

पूर्व में भी इस स्कूल पर बच्चों की जान जोखिम में डालकर रोड यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाने के लगे हैं आरोप

बाफना पब्लिक स्कूल प्रबंधन समिति से जब इस विषय में हमारे संवाददाता ने बात करनी चाही तो उन्होंने कैमरे के सामने बोलने से साफ इंकार कर दिया। बहानेबाजी के साथ कई हवाले देते हुए भी नजर आए कि भारी बारिश थी एवं रक्षाबंधन की छुट्टी होने के कारण कोई भी बच्चे नहीं आए। इस वजह से स्वतंत्रता दिवस आयोजन में सहभागिता नहीं की। जबकि बाफना पब्लिक स्कूल छोटे बच्चों को भरी बारिश में पी.टी. करवाई जाती है व नन्हें बच्चों के स्वास्थ्य का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखा जाता। पूर्व में भी इस स्कूल पर बच्चों की जान जोखिम में डालकर रोड यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाने के आरोप लगे थे। तब भी झाबुआ आरटीओ द्वारा स्कूल की बसों पर नकेल कसते हुए कार्रवाई की गई थी। अब शासन इस स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर शासन के आदेशों की धज्जियां उड़ाने वाले बाफना पब्लिक स्कूल पर क्या कार्रवाई करता है, यह तो शासन के नुमाइंदों को ही तय करना है।