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सोहागपुरः ग्रामीण ने बनाई फोम की किश्ती, बाढ़ से बचाव में मददगार हो सकती है कम खर्च वाली फोम किश्ती

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Sep 11, 2019

देवेंद्र कुशवाहा - सोहागपुर तहसील के ग्राम अजयरा निवासी एक युवक ने इन दिनों नर्मदा किनारे बसे और बाढ़ वाले क्षेत्र में फोम की नाव हो बनाने के कारण चर्चा में आया है। नर्मदा किनारे गांव में भारी बरसात के चलते चारों तरफ पानी भर गया है। जबलपुर के बांध और होशंगाबाद के तवा के सभी गेट खोले गए। जिससे बाढ़ जैसी स्थिति गांव में बन गई है। इससे बचाव का तरीका रूप सिंह नामक युवक ने खोजा और कम खर्च में फोम से एक नाव बनाई, जो ग्रामीणों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के काम में आ रही है। तत्कालिक स्थिति में इस नाव से लोगों को बचाया जा सकता है। बाढ़ आने की स्थिति में जब तक प्रशासनिक मदद नहीं पहुंचती और लोग कहीं फंस जाते हैं तो ऐसी नाव बहुत मददगार साबित हो सकती है। यह नाव कम बहाव वाले पानी एवं डूब क्षेत्रों में कारगर है। इससे बेहतर मदद मिल सकती है। जब बाढ़ का पानी गांव पहुंचता है तो यहां पानी का बहाव कम होता है। इस स्थिति में पेड़ पर या घरों में या किसी सार्वजनिक स्थान पर फंसे लोगों को बचाने के लिए तथा उनके रेस्क्यू के लिए फोम की नाव का उपयोग किया जा सकता है। यह किश्ती कम खर्च में बनी है और काफी कारगर है।

फॉम और लकड़ी के सहारे बड़ी नाव भी बनाई जा सकती

रूप सिंह के मुताबिक उन्होंने 40 किलोमीटर मोटाई की फॉम ली जो कि तकिए या गद्दों में इस्तेमाल की जाती है। इस फोम की 4x6 फीट की एक समान नाव लकड़ी की सहायता से जोड़कर चिपकाकर रखने वाले पदार्थों से बनाई है। रूप सिंह ने नाव बनाकर 2 दिनों तक स्वयं नर्मदा नदी में चलाई तथा काफी दूर तक अकेले भी लेकर गया। एक व्यक्ति को सहायता के लिए पतवार के साथ बिठाया। इस फोम किश्ती पर दो लोग आसानी से बैठकर गहरी नदी में बाढ़ वाले क्षेत्र को भी पार कर सकते हैं। फॉम और लकड़ी के सहारे बड़ी नाव भी बनाई जा सकती है। रूप सिंह द्वारा बनाई गई फोम किस्ती की कीमत मात्र 250 है। प्रशासन चाहे तो नर्मदा किनारे या बाढ़ क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए इसका इस्तेमाल कर सकती है। अच्छे तैराकों के साथ इन्हें रेस्क्यू वाले क्षेत्र में रखा जा सकता है। बाढ़ में सहायता करने वाले वॉलिंटियर्स को भी उपयोग के लिए दी जा सकती है। जिससे वे स्वयं के साथ दूसरों की सुरक्षा भी कर सकें। तेज बहाव वाले क्षेत्र में मशीन की सहायता से भी इसका उपयोग किया जा सकता है। वर्तमान में भटगांव माछा अजेरा नर्मदा नदी के पानी से घिरे हुए हैं। बाढ़ जैसी स्थिति है, नदी नाले उफान पर हैं, चारों ओर पानी ही पानी है, ऐसे में यह नाव बहुत कारगर सिद्ध हो रही है। इस प्रकार की नाव अब नर्मदा किनारे के सभी व्यक्ति बनाने की सोच रहे हैं।