Jul 5, 2019
वरूण शर्मा- मध्यप्रदेश सरकार की मंशा है कि सरकारी स्कूलों में छात्रों को साफ स्वच्छ और समय पर भोजन मिले, लेकिन मध्यान भोजन जैसी छात्र हित की योजना मुनाफा खोरों की भेंट चढ़ गई है। जो नियम कायदों को दर किनार कर गाढ़ी कमाई के चक्कर में योजना को पलीता लगा रहे हैं। हाल ही में 24 जून से मध्यप्रदेश के सभी सरकरी स्कूल खुल चुके हैं। प्राथमिक और माध्यमिक में छात्रों को मध्यान भोजन कराने की व्यवस्था भी शुरू कर दी गयी है, लेकिन शासन की एमडीएम पर मुनाफाखोर ग्रहण बनकर बैठे हैं। जो ज्यादा कमाई के लालच में एमडीएम का किचेन शेड एक जिले में बनाकर कई जिलों में वितरण कर रहे हैं। आलम ये है कि छात्रों को भोजन न तो समय पर पहुंच रहा है और न ही गुणवत्ता पूर्ण। नगर निगम क्षेत्र के प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में बंटने वाला मिड डे मील वक़्त पर नहीं पहुंचता। जिससे छात्रों को बाजार से खरीदे गए नाश्ते पर ही आश्रित रहना पड़ता है। मिड डे मील की लेट लतीफी के चलते स्कूल के शिक्षक भी खासे परेशान हैं।
मीनू और गुणवत्ता को दरकिनार कर समूह कर रही छात्रों के हक से खिलवाड़
ये है सतना के शहरी इलाके के स्कूलों में बंटने वाला मिड डे मील, जो 55 किलोमीटर दूर रीवा जिले के किचिन शेड से बनकर आया है। जिसका जिम्मा एक निर्मला ज्योति महिला स्व सहायता समूह पर है, मंडल को जिले के सभी नगरीय निकायों के प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं तक एमडीएम बनाकर देने का काम मिला है। मगर यह फिलहाल सतना नगर निगम अंतर्गत 64 प्राथमिक और 37 माध्यमिक शालाओं में पढ़ने वाले 7 हजार 1 सौ 73 बच्चों को एमडीएम बनाकर खिलाना है। टेंडर शर्तों के मुताबिक इसके लिए स्व सहायता समूह को सतना में सेंट्रल किचन बनाना होगा। मगर 24 जून से वर्क आर्डर मिलने के बाद स्व सहायता समूह रीवा से मध्यान्ह भोजन बनाकर भेज रही है। हर दिन का मीनू भी अलग-अलग है, लेकिन मीनू और गुणवत्ता को दरकिनार कर ये समूह अपने फायदे के लिए छात्रों के हक से खिलवाड़ कर रही है।