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कोरोनावायरस का मध्यप्रदेश के दवा निर्माण उद्योग पर पड़ रहा असर

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Feb 20, 2020

इंदौर: चीन में फैले कोरोनावायरस का असर मध्यप्रदेश के दवा निर्माण उद्योग पर पड़ रहा है। एमपी समेत भारत की दवा बनाने वाली कंपनियां कच्चा माल चीन से मंगाती हैं। इनसे सर्दी-खांसी से लेकर डायबटीज, कैंसर जैसी बीमारियों की दवाई बनाई जाती है। वहीं मध्यप्रदेश में दवा बनाने की करीब 300 कंपनियां हैं, जिसमें इंटरमीडिएट्स (कच्चा माल) करीबन खत्म होने की कगार पर है। भारत के बड़े आयतकों के पास बेसिक रसायनों का जो थोड़ा बहुत स्टॉक है, उसकी कीमतें 30 प्रतिशत तक बढ़ गई है। दवा निर्माताओं का बताया है कि यदि जल्द ही हालात नहीं सुधरे तो घरेलू बाजार में आवश्यक दवाओं की कमी पड़ सकती है। मप्र में दवा निर्माण से जुड़ी छोटी-बड़ी करीबन 300 कंपनियां इंदौर, पीथमपुर, देवास, मंडीद्वीप, रतलाम, ग्वालियर आदि स्थानों पर मौजूद है। इनमें से इंदौर के आसपास सबसे ज्यादा लगभग 150 दवा निर्माता कंपनियां है। इन दवा निर्माता कंपनियों द्वारा 90 प्रतिशत कच्चा माल चीन से आयात किया जाता है। चीन में कोरोनावायरस के चलते भारत सरकार ने भी चीन से आने वाली लगभग सभी वस्तुओं पर हाल में रोक लगा दी है। इसके चलते फार्मा सेक्टर के सामने समस्या बड़ी कठनाई उत्पन्न हो गई है।

विश्व में दवा निर्माण के लिए लगने वाले कच्चे माल का चीन सबसे बड़ा निर्यातक

मध्यप्रदेश में मुख्य रूप से पैरासिटामॉल, नॉरफ्लोक्सिन, ओफ्लॉक्सोसिन, प्रीडनी सोलन, डेग्जा और सभी प्रकार के विटामिन का 100 करोड़ रुपए का कच्चा माल चीन से हर महीने आता है। चीन के अलावा यूरोप व अमेरिका से कच्चा माल मंगवाया जा सकता है, परन्तु उसकी लागत चीन के मुकाबले दो से पांच गुना पड़ेगी। विश्व में दवा निर्माण के लिए लगने वाले कच्चे माल का चीन सबसे बड़ा निर्यातक है। उसकी हिस्सेदारी करीब 70 प्रतिशत से ज्यादा है। अन्य देश संपूर्ण विश्व की मांग का लगभग 30 प्रतिशत ही निर्यात करतें है, इसके चलते वहां से भी ऑर्डर पूरा होगा इसकी गारंटी नहीं है। पीथमपुर औद्योगिक संगठन के संयुक्त अध्यक्ष और लघु उद्योग दवा निर्माता संघ के एग्जीक्यूटिव सदस्य डॉक्टर दर्शन कटारिया ने कहा कि - चीन से कच्चे माल के आयत का प्रमुख केंद्र वुहान की राजधानी हुबेई है और उसी क्षेत्र में कोरोनावायरस का सबसे खतरे के आसार है। वहीं वुहान क्षेत्र के 17 जिलों से आयात पूरी तरह से बंद हो चुके है।