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अशोकनगरः शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त, अधिकारी मस्त

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Aug 2, 2019

प्रवेंद्र श्रीवास्तव- एक और सरकार शिक्षा पर जहां करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर प्राइवेट स्कूल दिन दुगनी रात चौगुनी तरक्की कर रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण देखने को मिला पिपरई तहसील के लिधौरा गांव में, जहां विजेता पब्लिक स्कूल के संचालक द्वारा नियमों को ताक पर रख स्कूल चलाया जा रहा है।

निजी स्कूल की मनमानी पर खास रिपोर्ट

विजेता पब्लिक निजी स्कूल की मान्यता पांचवी क्लास तक थी लेकिन स्कूल प्रबंधक ने छात्रों को दसवीं क्लास तक एडमिशन तो दे दिए, मगर स्कूल प्रबंधक बिना मान्यता के उन्हें टीसी और मार्कशीट कैसे देगा। बच्चों के भविष्य को देखते हुए परिजनों ने एडमिशन तो करा दिया, पर शायद उन्हें यह नहीं पता कि स्कूल की मान्यता पांचवी क्लास तक है। अगर बच्चों के भविष्य को देखते हुए दूसरे स्कूल से अटैच कर मार्कशीट देता भी है तो क्या भरोसा है कि बच्चों को उनकी मार्कशीट टाइम पर मिलेगी और अगर किसी स्कूल ने अटैच नहीं किया तो बच्चों के भविष्य का क्या होगा।

अब सवाल यह उठता है कि बिना खेल मैदान, बिना बिल्डिंग और बिना सुविधाओं के स्कूल को मान्यता आखिर कैसे मिली। जाहिर सी बात है कि जिन अधिकारियों ने स्कूल को मान्यता दी अब वही अधिकारी स्कूल की मनमानी पर रोक नहीं लगा पा रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच छात्र-छात्राओं का भविष्य जरूर दांव पर लगा है। स्कूल संचालक राजीव लोधी से कई बार बात करने की कोशिश की मगर वह स्कूल से नदारद रहे। जब उनसे फोन पर बात की तो बात करने मैं कतराते रहे।

फर्जी पत्रकार बनकर की संवाददाता से बात

एक प्रतिष्ठित पत्रकार संस्थान का नाम लेकर अपने आप को भी पत्रकार बतला रहा था। प्रश्न यह उठता है कि नियम सभी के लिए एक समान लागू किया जाता है तो क्या अधिकारी मान्यता देते समय इन नियमों को ताक पर रख देते हैं या फिर किसी राजनीतिक दबाव या अन्य प्रलोभन के तहत इन को मान्यता दे दी जाती है। यह जिले में एक ही उदाहरण नहीं है ऐसे जिले में अन्य अनेकों उदाहरण मिल जाएंगे। बस जरूरत है जागरूकता की, जो अभिभावकों में लाने की आवश्यकता है। साथ ही जरूरत है अधिकारियों की दृढ़ इच्छाशक्ति की, जो यह मान्यता देते समय ना जाने कहां रख देते हैं।