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बड़वानीः फर्जी आदेश के तहत 2003 के दौरान पदस्थ हुए राजस्व निरीक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज

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Jun 17, 2019

सचिन राठौड़- स्थानीय निकाय में फर्जी आदेश के तहत 2003 के दौरान पदस्थ हुए राजस्व निरीक्षक के खिलाफ नगरीय विकास एवं आवास विभाग के उपसचिव राजीव निगम द्वारा एफआईआर दर्ज कराने का मामला सामने आया है। जिसके आदेश सीएमओ नपा बड़वानी को दिए हैं। उक्त आदेश मिलते ही नपा ने कार्रवाई शुरू कर दी है। गौरतलब है कि फर्जी आदेश के तहत बड़वानी नपा में पदस्थ राजस्व निरीक्षक राकेश मिश्रा ने करीब पांच माह तक अपनी सेवाएं देते हुए वेतन भी प्राप्त किया है।

वर्ष 2003 में राकेश मिश्रा का नगर पालिका बड़वानी में राजस्व निरीक्षक के पद पर फर्जी पदस्थ

विभागीय आदेश के अनुसार मामला 24 मार्च 2003 का बताया जा रहा है। नपा सीएमओ कुशलसिंह डुडवे से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 1994 में हथकरघा संचालनालय में स्टेनोटायपिस्ट पद पर राकेश मिश्रा की नियुक्ति की गई थी, लेकिन प्रक्रिया अनुसार नियुक्ति नहीं होने पर दो वर्ष बाद ही राकेश मिश्रा की सेवा समाप्त की दी गई थी। संचालनालय द्वारा जारी आदेश के खिलाफ मिश्रा ने मध्य प्रदेश प्रशासनिक अधिकरण में वाद दायर किया। इस पर अधिकरण ने सुनवाई करते हुए हथकरघा संचालनालय के आदेश पर स्थगन दिया। स्थगन आदेश के बाद वर्ष 2003 में राकेश मिश्रा को नगर पालिका बड़वानी में राजस्व निरीक्षक के पद पर पदस्थ किया। लेकिन वे जिस आदेश का हवाला देकर नगर पालिका में पदस्थ हुए थे वह फर्जी निकला। नपा अधिकारी ने बताया कि विभाग को शिकायत मिली की राकेश मिश्रा हथकरघा संचालनालय के सेवामुक्त कर्मचारी है। वह कूटरचित और फर्जी अभिलेख के आधार पर नपा बड़वानी में राजस्व निरीक्षक के रूप में सेवारत है।

शासन द्वारा कराई गई जांच के बाद उन्हें सेवा से पृथक करने की कार्रवाई की जा रही

शिकायत पर संज्ञान लेते हुए विभाग ने राकेश मिश्रा की सेवाएं हथकरघा संचालनालय से प्रतिनियुक्ति पर हासिल कर नपा बड़वानी में राजस्व निरीक्षण के पद पर पदस्थ करने संबंधी आदेश के संबंध में छानबीन की। आदेश वर्ष 2003 में तत्कालीन अपर सचिव आरके कोरी के हस्ताक्षर के अधीन जारी होना ज्ञात हुआ। सीएमओ ने बताया की राकेश मिश्रा जिस आदेश के तहत नपा बड़वानी में राजस्व निरीक्षक के पद पर पदस्थ हुए थे वह फर्जी निकला। उन्होंने इसकी पीआईसी से पुष्टि भी करवा ली थी। जिसके बाद चार से पांच माह का वेतन भी उनके द्वारा लिया गया है। शासन द्वारा कराई गई जांच के बाद उन्हें सेवा से पृथक करने की कार्रवाई की जा रही है। साथ ही कार्यकाल के दौरान प्राप्त किए गए वेतन की वसूली भी की जाएगी। इसके लिए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।