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किसान आंदोलन दूसरा दिन: कृषि उपज मंडी वीरान

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Jun 2, 2018

मन्दसौर
किसान आंदोलन के आज दूसरे दिन मन्दसौर में आंदोलन का मिला जुला असर देखने को मिला है। जहां मन्दसौर की कृषि उपज मंडी में 40 से 50 हजार बोरी की आवक हुआ करती थी वहीं आज किसान आंदोलन के चलते कृषि उपज मंडी वीरान पड़ी हुई है। मंडी में एक भी किसान अपनी फसल लेकर नही पहुँचा है। दूसरी ओर मंदसौर की फूल मंडी में आम दिनों के मुकाबले कम आवक देखने को मिली है। साथ ही ग्राहकों की कमी के कारण फूल के दामो में कुछ कमी भी आई है।

पिछले वर्ष के मुकाबले अगर देखा जाए तो वर्तमान में किसान आंदोलन का उतना असर फिलहाल देखने को नहीं मिल रहा है। कल के मुकाबले आज मंदसौर की सब्जी मंडी में ज्यादा आवक देखने को मिली है। साथ ही दामो में भी कमी आई है वहीं इस बार किसान आंदोलन का एक नया स्वरूप भी मंदसौर के आदर्श ग्राम बालागुड़ा में देखने को मिला है जहां के किसानों ने दूध शहर और सोसाइटी में ना पहुचाते हुए गांव में ही 1 जून की रात्रि को खीर बना कर उत्सव मनाया है। और बाकी बचे दूध की मिठाई बना कर बंटवाने की बात कही है। जिले से अब तक कोई अप्रिय घटना की सूचना भी फिलहाल सुनने को नहीं मिली है। जिससे प्रशासन चैन की सांस लिए हुए है।


पेटलावद
किसान आंदोलन के दूसरे दिन पेटलावद के ग्राम बावड़ी के दुग्ध उत्पादक ने हड़ताल के समर्थन में उतर कर दूध देने से इंकार कर दिया। सुबह से ही किसान आक्रमक रुख अख्तियार किये हुए नजर आए। दूध डेयरी भवन पर उपस्थित किसान अपना दूध लेकर पहुँचे और दूध को न देकर अपना विरोध दर्ज करवाया। नारेबाजी के साथ दूध उत्पादक किसानो की यही मांग रही कि पिछले आंदोलन के वक्त किये वादे को पूरा नही किया गया है। जिससे किसान ठगे हुए महसूस कर रहे है।

दूध डेयरी के अध्यक्ष अमृतलाल पाटीदार ने बताया कि मिनरल वाटर के दाम पर दूध खरीदा जा रहा है। उक्त दाम से किसान अपना खुद का खर्चा भी नही निकाल पा रहा है। ऐसे में इस आंदोलन को हम समर्थन देकर अपना दूध तब तक नही देगे जब तक हमारे दूध का भाव नही बड़ जाता। इधर किसान जितेंद्र पाटीदार ने कहा कि पशु आहार महंगा, दवाई महंगी, गौवंश महंगा होने के साथ रख रखाव भी महंगा है। इन सभी को किसान खुद करे तो भी लागत नही निकल रहा है यदि मजदूरी से करवाये तो सिर्फ घाटे का ही सौदा है, ऐसे में दूध उत्पादक कैसे लाभ में रह सकते है।  दूध डेयरी पर उपस्थित दूध उत्पादक किसानों ने जय जवान जय किसान के नारे लगाते हुए अपना विरोध दर्ज कराया। बाद में दूध संकलन के लिये आये शीत केंद्र के वाहन को वापस यह कहकर लौटाया की जब तक हमारी मांगो का निराकरण नही होता हम दूध नही देंगे।