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निजी जमीन को सरकारी घोषित करने संबंधी याचिका को हाई कोर्ट ने किया खारिज, याचिकाकर्ता पर 50 हजार का हर्जाना

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Oct 24, 2018

धर्मेन्द्र शर्मा - शिवपुरी जिले के कपराना गांव में एक निजी जमीन को सरकारी घोषित करने संबंधी जनहित याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया और याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपए की कॉस्ट लगाई है। हाई कोर्ट ने माना कि उक्त याचिका जनहित की ना होकर व्यक्तिगत खुन्नस निकालने के लिए लगाई गई थी। इसमें कोर्ट का समय भी बर्बाद किया गया है। इसलिए याचिकाकर्ता महेश शिवहरे की याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने उसके खिलाफ 50 हजार का हर्जाना लगाया है।

एसडीएम ने  जमीन को माना निजी

दरअसल कपराना गांव में देउआ देव लाल की 3 सर्वे वाले नंबरों पर सड़क से लगी हुई करीब 70 बीघा जमीन थी उसकी शादी काशीबाई नामक महिला से हुई थी बाद में देव लाल की मौत हो गई और जमीन काशीबाई के नाम हो गई काशीबाई ने दूसरी शादी कर ली जिससे उसे तीन संताने हुई लेकिन एक संतान यानी सोनो बाई खुद को अकेली वारिश बता कर उक्त जमीन अपने नाम कराना चाह रही थी। लेकिन तहसीलदार ने विवाद के चलते उक्त जमीन को सरकारी घोषित कर दिया। जिसके खिलाफ तीनों संतानों ने  एसडीएम के यहां  अपील की अपील में एसडीएम ने  जमीन को निजी माना।

याचिकाकर्ता पर लगाई कॉस्ट

जिसके खिलाफ  महेश शिवहरे ने  हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी और तहसीलदार के  पूर्व के आदेश को  बरकरार रखने की मांग की लेकिन इस बारे में वो कोई  तथ्य पेश नहीं कर सका हाई कोर्ट में बताया गया कि  याचिका  व्यक्तिगत रंजिश  निकालने के लिए लगाई गई है कोर्ट की जांच में यह तथ्य सही पाया गया और याचिकाकर्ता पर कॉस्ट लगाई गई।