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सरकारी स्कूलों में शिक्षा का बंटाधार, शिक्षक बच्‍चों के हाथों में कॉपी-किताब की जगह थमा रहे झाड़ू-फावड़े

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Jan 26, 2019

सचिन राठौड़ - सरकार भले ही सरकारी स्कूल के बच्चों को कांवेंट स्कूलों की तर्ज पर सुविधा देने का दम भर रही हो मगर, इनमें से कई स्कूलों के शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के बजाय उनसे साफ-सफाई करवाते हैं ऐसे में खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन स्कूलों में किस तरह शिक्षा का बंटाधार किया जा रहा है कई स्कूलों के बच्‍चे क्‍लास में पढ़ाई की शुरूआत करने से पहले खुद झाड़ू लगाकर साफ-सफाई करते हैं और ये नजारा अक्‍सर ही निवाली विकासखण्ड की बूदगांव की प्रायमरी स्कूल में देखने को मिला है।

शिक्षक ने कहा बच्चों से काम करवाना कोई बुरा काम नहीं

26 जनवरी गणतंत्र दिवस को लेकर जहां पुरे देश में उत्साह का माहौल है वहीं निवाली विकास खण्ड के बुदगाँव में आज स्कूल में बच्चों के द्वारा साफ़ सफाई करना दिखाई दिया बकायदा बच्चे फावड़ा हाथ में लिए काम करते दिखाई दिए हालांकि स्कूल में बच्चों के द्वारा काम करना वहां के प्राचार्य के लिए बड़ी बात नही है बुदगाँव के प्राचार्य का मत है इसमें ऐसी कौन सी बात हो गई प्रशासन द्वारा मिडिल स्कूल और प्रायमरी स्कूल में भृत्य की पोस्टिंग नही की जाती हमारी स्कूल में भी भृत्य नही है इसलिए बच्चे काम कर रहे है इसमें कोई बुरी बात नही है अब ये अच्छा है या बुरा ये अपनी जगह लेकिन प्राचार्य का ये कथन के मिडिल और प्रायमरी में भृत्य नही होता कई सवाल खड़े करता है।

जिम्मेदारी लेने वाले ही उड़ा रहे धज्जियां

इस बात का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि यहां बच्‍चों के हाथों में कॉपी-किताब की जगह झाड़ू  व पावड़े नजर आ रहै है बेसिक शिक्षा विभाग ने भले ही स्कूलों की साफ-सफाई की जिम्मेदारी वहां पढ़ा रहे टीचरों को दी हो लेकिन कुछ टीचर ऐसे भी हैं जिन्होंने छात्रों के हाथों में झाड़ू थमा दी सफाईकर्मी नहीं आता है तो बच्चों से सफाई कराई जाती है खैर वजह जो भी हो लेकिन एक तरफ सरकार सर्व शिक्षा अभियान में करोड़ों रुपए खर्च कर बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी लेने वाले की इसकी जमकर धज्जियां उड़ा रहे हैं और बच्चों के हाथ में किताबों की जगह झाड़ू थमा रहे हैं।