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हरदाः पान खिलाकर करते जीवन साथी का चयन, लगता है इश्क का बाजार

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Nov 7, 2019

संदेश पारे - प्रदेश में एक बाजार ऐसा भी है, जहां वर्षों से युवक-युवतियां खुलेआम अपने इश्क का इजहार करते आ रहे हैं। यह परंपरा आज भी जारी है। हरदा जिले के आदिवासी अंचल गांव  मोरगढ़ी में हर साल दीपावली के बाद इश्क का बाजार लगता है, जिसमें आदिवासी जनजाति के युवक-युवती एक-दूसरे को पसंद करके बीच बाजार खुलेआम अपने इश्क का इजहार करते हैं।एक-दूसरे को पसंद आने पर बाजार में शादी कर लेते हैं। आदिवासियों में यह परम्परा वर्षों से चली आ रही है। गांव के बड़े-बुजुर्गों को भी नहीं मालूम कि यह परम्परा कब और कैसे शुरू हुई? वे तो पीढ़ियों से इसे निभाते चले आ रहे हैं। जिसमें कोरकू, गौंड जनजाति के युवक-युवती अपने पूर्वजों द्वारा शुरू की गई इस परम्परा को निभाया जाता है। इस बाजार को देखने आसपास के ग्रामीण अंचलों से भी काफी लोग आते हैं। इसे ठोठिया बाजार के नाम से जाना जाता है। नेगी समाधि मंडलियों को कहा जाता है।

अपनी पारंपरिक वेशभूषा में युवक युवतियां आते हैं बाजार

ठोठिया साल में एक बार दीपावली के बाद भरने वाले इस बाजार में आसपास के आदिवासी अंचलों से युवा टोलियों में पहुंचते हैं। जो अपनी पारंपरिक वेशभूषा धोती-कुर्ता पहने रहते हैं। इन टोलियों को ही यहां ठाठिया कहा जाता है। युवतियां भी लहंगा व चुनरी डालकर बाजार में आती हैं। यह बाजार बीच गांव में ही लगता है। टोलियां पारंपारिक पहनावे के साथ वाद्ययंत्र लेकर भी आती हैं। जिनकी थाप और धुन पर वे बाजार में गाते-बजाते व सामूहिक नृत्य करते हैं। ऐसी अनेक टोलियां इस बाजार में शामिल होती हैं। दोनों पक्ष स्वीकारते हैं शादी। जो युवा एक-दूसरे को पसंद कर लेते हैं, वे एक-दूसरे को पान खिलाते हैं। लड़का अपने पसंदीदा जीवनसाथी को लेकर एक दिन बाद घर पहुंचता है और फिर लड़की के घर खबर भिजवा दी जाती है कि लड़की को ढूंढना मत शादी कर ली है। इस शादी पर वर और वधु दोनों पक्ष सहमत होते हैं क्योंकि यह उनकी परम्परा में शामिल है। दीपावली के बाद ठाठिया बाजार क्षेत्र में लगता है, आदिवासी जनजातियों की यही परंपरा है।