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पतंगबाज एक ऐसा शौक है जो एकाग्रता व् एक साथ रहने का संदेश देती है : लक्ष्मी नारायण खंडेलवाल

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Jan 15, 2019

संजय डोंगरदिवे - मकर संक्रांति के अवसर पर जहां आसमान में ऊंची ऊंची पतंग उड़ती देखने को मिलती है वहीं राजधानी के रहने वाले अंतरराष्ट्रीय पतंग उत्सव में भाग लेने वाले पतंगबाज एक अलग ही पतंगबाजी के शोक के कारण 15 लाख के सोने से पतंग चकरी मांझा पहने हुए देखने को मिल रहे हैं जो उपस्थित पंतग उत्सव में एक आकर्षण का केंद्र है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पतंग प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले भोपाल के लक्ष्मी नारायण खंडेलवाल जिन्होंने अपने गले में हाथों में सोने से बनी पतंग और सोने से बने मांझा चकरी अंगूठीओं का उपयोग किया है उनका कहना है कि पतंग बाज एक ऐसा शौक है जो एकाग्रता और एक साथ रहने का सदेश देती है खंडेलवाल का कहना है कि वह हिंदुस्तान के कोने कोने में जाकर पतंग उडाने कि प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेते हैं।

और हर साल मकर संक्रांति को एक सोने की पतंग बनाकर अपने गले में ग्रहण करते हैं खण्डेलवाल का कहना है कि राजधानी का पंतग उत्सव अनेकता में एकता का प्रतिक होता है क्योंकि त्यौहार तो हिन्दुओं का है पर पंतग उत्सव में मुस्लिम भाई लोंग आ कर इस पंतग उत्सव में भाग लेकर इस ओर बडा देते है।