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शराब ठेकेदारों ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका, ठेके की शर्त और जमानत राशि में राहत देने की मांग

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Jun 2, 2020

अरविंद दुबे : मध्य प्रदेश के शराब ठेकेदारों ने कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से बदले हालात में ठेके की शर्त और जमानत राशि में राहत देने की मांग करते हुये एक जनहित याचिका मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में दायर की है। इस याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। साल 2020-21 के लिये प्रदेश में शराब दुकानें संचालित करने के लिये शराब के ठेके हासिल करने वाले जबलपुर, ग्वालियर और इंदौर संभाग के तीस ठेकेदारों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया कि जब उन्होंने दुकानों की नीलामी में हिस्सा लिया था तब पूरे प्रदेश में सामान्य परिस्थितियां थीं जिसके तह्त शराब की दुकानों को बारह से चौदह घंटे तक खोलने और अहाता संचालित करने की अनुमति दी गयी थी। लेकिन कोविड 19 फ़ैलने की वजह से पूरे देश में असामान्य हालात बन गये हैं। 

प्रदेश के कई जिलों में प्रतिबंधित क्षेत्र
अब प्रदेश के कई जिलों में प्रतिबंधित क्षेत्र बन गये हैं। कई स्थानों पर शराब खरीदने और बेचने पर पाबंदी लगा दी गयी है, बार और अहाता बंद कर दिया गया है। ऐसे हालात में सरकार को लाईसेंस फ़ीस देना और अन्य राजस्व देना मुश्किल हो गया है। शराब ठेकेदारों ने मांग की, कि राज्य शासन उन्हें रियायत प्रदान करे या फ़िर नयी शर्तों के आधार पर नीलामी प्रक्रिया को दोबारा शुरु किया जाये।

सरकार से ठेके की शर्तों में रियायत देने की मांग
शराब ठेकेदारों की याचिकाओं पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में मंगलवार को फिर से सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ताओं ने अपने तर्क दिए और राज्य सरकार से ठेके की शर्तों में रियायत देने की मांग की है। याचिकाकर्ताओं के द्वारा दी जा रही दलीलों में लग रहे वक्त को देखते हुए हाईकोर्ट अब बुधवार को इस मामले पर आगे सुनवाई करेगा।

हाईकोर्ट की रोक के बावजूद, शराब ठेकेदारों के ऊपर कार्यवाही
इस दौरान शराब ठेकेदारों ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट की रोक के बावजूद कुछ शराब ठेकेदारों के ऊपर कार्यवाही की है।और उन्हें टैक्स रिकवरी संबंधी नोटिस जारी किए हैं। इस पर हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जाहिर की और कहा कि जब हाईकोर्ट ने शराब ठेकेदारों पर 2 जून तक कोई भी कार्यवाही ना करने के आदेश जारी किए थे तो राज्य सरकार ने फिर ऐसा क्यों किया। इसे अवमानना की श्रेणी में रखा जा सकता है। इसके बाद हाईकोर्ट ने आबकारी आयुक्त और प्रमुख सचिव सेल्स टैक्स को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।