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मध्यप्रदेश: कुपोषण का दंश ग्रामीण एरिये से लेकर शहरी क्षेत्रों तक

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May 30, 2018

मध्यप्रदेश में कुपोषण का कलंक मिटने का नाम नहीं ले रहा है हालात यह है कि कुपोषण अब ग्रामीण एरियों से निकलकर शहरी एरिया तक आ गया है। जिसको कांग्रेस भुनाने में लग गई है। दरअसल ग्वालियर में कुपोषण से 2 बच्चों की मौत के बाद प्रशासन हरकत में आया था। प्रशासन ने वहां मौजूद बाकी बच्चों को कुपोषण केंद्र में भी भर्ती कराया था लेकिन हालत ये है कि कुपोषण केंद्रों में बच्चों को बेड तक नसीब नही हो रहा है, उन्हें जमीन पर रात गुजारनी पड़ रही है। इस बीच कांग्रेस को बैठे-बिठाए मुद्दा भी मिल गया वहीं कांग्रेस ने कुपोषण के मुद्दे पर अपनी राजनैतिक बिसात भी बिछाना शुरू कर दी है।  

भले ही केंद्र और राज्य सरकार कुपोषण के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही हो। लेकिन कुपोषण की स्थिति जस की तस बनी हुई है। हालात यह है कि कुपोषण अब ग्रामीण एरिया से निकलकर शहरी इलाकों तक पहुंच गया है। बावजूद इसके कुपोषण को रोकने में सरकार से लेकर स्वास्थ्य विभाग नाकाम है। दो रोज पहले ही ग्वालियर में मल्लगढ़ा में काफी सारे बच्चे कुपोषण से पीड़ित मिल थे, जिनमें से 2 बच्चों की कुपोषण से मौत हो गई। आनन-फानन में उन बच्चों को ग्वालियर के कुपोषण केंद्र में भर्ती कराया गया। जहां उन्हें मूलभूत सुविधाएं तक नही मिल पा रही है। 

महिला बाल विकास के आंकड़ों के मुताबिक.... 

1.      ग्वालियर जिले में 1458 आंगनबाडी है। 

2.      जिनमें 1 लाख 38 हजार 612 बच्चें है। 

3.      हर दिन 3 लाख 37 हजार रुपए से अधिक का पोषण आहार आता है। 

4.      18 लाख 38 हजार 235 की जनसंख्या वाले जिले के अधिकांश ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में कुपोषण की स्थिति भी लगातार बढ़ती जा रही है। 

5.      पोषण आहार में अनियमितताओं की बीते एक साल में ही 20 से अधिक शिकायतें हो चुकी हैं।

ग्वालियर में कुपोषण केंद्र में मौजूद डॉक्टर भी मानते हैं कि यह स्थिति इसलिए निर्मित हो रही है। क्योंकि जिस हिसाब का न्यूट्रीशन इन बच्चों को मिलना चाहिए। वह मिल नहीं पा रहा है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग का मैदानी अमला भी ग्राउंड लेवल तक नही पहुंच रहा है। जिसके कारण कुपोषण फैलता जा रहा है। इसके साथ ही उनका यह भी कहना है कि कुपोषण केंद्र में कुपोषित बच्चों की संख्या 25 हो गई है और बैड 20 है इसलिए 5 बच्चों को जमीन पर ही लेटना पड़ रहा है।

ऐसे में जब विधानसभा चुनाव नजदीक है, तो कांग्रेस कुपोषण के मुद्दे पर अपनी राजनैतिक बिसात बिछाना शुरू कर दी है। ग्वालियर विधानसभा से पूर्व विधायक प्रद्युमन सिंह तोमर मैदान में हैं। उनका कहना है कि कुपोषण को लेकर बहुत पहले से अपनी आवाज बुलंद कर रहे थे। स्वास्थ्य महकमे से लेकर सरकार को चेता रहे थे कि मल्लगढ़ा में कुपोषण अपने पैर पसार रहा है। बावजूद इसके स्वास्थ्य महकमें ने रुचि नहीं दिखाई और आलम यह है कि 2 बच्चों की कुपोषण से मौत हो गई और अब स्थिति यह भी है कुपोषण बच्चों को कुपोषित केंद्र में बेड तक नसीब नहीं है।मध्यप्रदेश में हर साल करीब 30 हजार बच्चे अपना पहला जन्मदिन तक नहीं मना पाते और काल के गाल में समा जाते हैं। ये वो अभागे अबोध बच्चे हैं, जो धरती पर पैर रखने के साथ ही कुपोषण के शिकार होते हैं और जन्म के बाद पोषण आहार की कमी के चलते अकाल मृत्यु को प्राप्त होते हैं। इसी कलंक की बदौलत मध्यप्रदेश देश के उन पिछड़े राज्यों में शुमार है, जहां शिशु मृत्युदर सबसे ज्यादा है। वैसे कुपोषण को लेकर शिवराज सरकार को पूर्व केन्द्रीय मंत्री और गुना-शिवपुरी सासद ज्योतिरादित्य सिंधिया कटघरे में खड़ा कर चुकें है। साथ ही केन्द्रीय महिला बाल विकास मंत्री मेनका गांघी को पत्र लिख चुके हैं। इसके बाद भी प्रदेश के ग्वालियर संभाग में प्रयास नहीं हुए हैं।