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छोलाझाप डॉक्टरों की गलती से एक दर्जन से भी ज्यादा लोगों की मौत, स्वास्थ विभाग खामोश

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Aug 9, 2018

विनोद शर्मा - ग्वालियर जिला, छोलाझाप डॉक्टरों की संख्या तीन हजार छह महीने में एक दर्जन से ज्यादा लोगों की मरीजों को ओवर डोज देने से मौते ये कागजी लेखा-जोखा स्वास्थ विभाग का है जिसे डाटा के रूप में इकट्टा तो किया जा रहा है लेकिन इन मौतों ओर छोलाझाप पर आंकुश कैसे लगाया जाएं इस पर ध्यान नही है जिसमें मरीजों को अपनी जान इसलिए गवाना पड़ी है कहीं दवाओं का ओवर डो़ज ज्यादा दे दिया जिस पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले सोशल एक्टिविस्टों का मानना है कि ये सब स्वास्थ विभाग की लापरवाही से हो रहा है क्योंकि विभाग जिस दिन अवैध क्लीनिक पर कार्रवाई के दौरान सील करता है वह अगले दिन खुली मिलती है।

स्वास्थ्य विभाग नहीं दे रहा कोई ध्यान

1. स्वास्थय विभाग के नियमों के मुताबिक अवैध रूप से क्लीनिक चलाने पर मप्र उपचार गृह तथा रोगोपचार संबंधी स्थापनाएं, रजिस्ट्रीकरण तथा अनुज्ञापन अधिनियम के तहत आरोप को तीन माह की सजा का प्रावधान है। 

2. बिना रजिस्ट्रेशन के क्लीनिक चलाने वाले के खिलाफ 420 का मामला भी दर्ज होना चाहिए। 

3. नीम हकीम से किसी मरीज की मौत हो जाती है, तो क्लीनिक संचालक पर धारा 304 के तहत मामला भी दर्ज होना चाहिए।  

छोलाझाप डॉक्टरों का आंतक यही तक सीमित नही

स्वास्थ विभाग के आंकडों पर नजर डाले तो जिले में  छह साल में 16 गुना फर्जी और झोलाछाप डॉक्टरों की क्लीनिक खुल गई जो आकाड़ा 2011 में 180 अवैध क्लीनिक चिह्नित किए गए थे जब से अब तक इनकी संख्या करीब 3000 पहुंच गई है इनमें अधिकांश क्लीनिक तो ऐसे हैं जिनके नाम पते तक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के पास नहीं हैं ऐसे में इनके खिलाफ कार्रवाई करने की बात महज औपचारिकता है बावजूद इसके सीएमएचओ साहब कार्रवाई का दवा कर रहे है लेकिन हकीकत में ऐसा कुछ नही हो रहा है क्योंकि बीते साल की बात करें छोलाझाप डॉक्टरों की लापरवाही से लगभग 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जिनकी जांच की फाइल सीएमएचओ के दफ्तर में इधर से उधर ही हो रही है।

सीएमएचओ नही ले रहा सख्त एक्शन

स्वास्थ्य विभाग की पूर्व में की गयी कार्रवाई पर नजर डाले तो कुछ इस तरह के मामले में भी समाने आये है जिसमें फर्जी डॉक्टर पंजीकृत डॉक्टर्स के नाम बोर्ड पर लिखकर क्लीनिक चला रहे हैं  इसकी आड़ में वे क्लीनिक पर न केवल माइनर ऑपरेशन बल्कि छोटे बच्चों के इलाज भी करते हैं बीते फरवरी महीने में थाटीपुर क्षेत्र में कार्रवाई के दौरान इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं एमबीबीएस डॉक्टर के यहां कम्पाउंडरी करने के बाद क्लीनिक खोलकर उनके नाम का इस्तेमाल करते फर्जी डॉक्टर पकड़े जा चुके हैं इसके बाद भी सीएमएचओ ने सख्त एक्शन नहीं लिया।