Loading...
अभी-अभी:

NRI फर्जीवाड़ाः सरकार और चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बरती लापरवाही

image

Dec 27, 2017

जबलपुर। मध्यप्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों में उजागर हुए एनआरआई फर्जीवाड़े में राज्य सरकार और चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इस कदर लापरवाही बरती कि ये फर्जीवाड़ा पकड़ने वाली मेडिकल यूनिवर्सिटी को भी बैकफुट पर आना पड़ा। जी हाँ, जबलपुर में जहां एमपी मेडिकल यूनिवर्सिटी ने, सत्र 2016-17 में दाखिले लेने वाले फर्जी एनआरआई छात्रों के रिज़ल्ट घोषित करने से रोक हटा ली है वहीं यूनिवर्सिटी ने ये फैसला छात्रों और निजी मेडिकल कॉलेजों के दबाव में लिया है जो एनआरआई छात्रों का रिजल्ट घोषित करने की लगातार मांग कर रहे थे जबकि बार बार पत्र लिखने के बाद भी प्रदेश की डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन कोई कार्यवाई तो दूर पत्र का जवाब तक नहीं दे रही थीं। ऐसे में छात्रों के व्यापक हित को देखते हुए मेडिकल यूनिवर्सिटी ने सत्र 2016-17 के एनआरआई छात्रों से शपथपत्र लेकर उनका रिजल्ट घोषित करने का फैसला ले लिया है।

फैसले के मुताबिक फर्जी एनआरआई दाखिले वाले छात्रों से शपथपत्र लिए जाएंगे कि अगर भविष्य में किसी भी जांच में उनके दाखिले गलत पाए जाते हैं तो इसके लिए वो खुद दोषी माने जाएंगे जबकि उनका रिज़ल्ट जारी करने में यूनिवर्सिटी पर किसी भी तरह का सवाल नहीं उठाया जाएगा। बता दें कि एनआरआई होने की शर्तों के मुताबिक छात्र का खुद एनआरआई होना,उसका विदेश में पढाई करना और आयकर विभाग में उसके एनआरआई होने की जानकारी होना ज़रुरी है लेकिन प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों में सत्र 2016-17 में एनआरआई कोटे में जो दाखिले दिए गए उनमें छात्र खुद एनआरआई होने की बजाए विदेश में रहने वाले भारतीयों के दूर के रिश्तेार बताए गए।

ऐसे में मेडिकल यूनिवर्सिटी ने एनआरआई कोटे में दाखिले पाने वाले ऐसे 179 स्टूडेंट्स के रिज़ल्ट जारी करने पर भी रोक लगा दी थी। यूनिवर्सिटी ने मामले पर आगे कार्यवाई के लिए प्रदेश के डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन और मेडिकल काऊंसिल ऑफ इंडिया को पत्र लिखा था लेकिन मामले पर कोई कार्यवाई ना होने पर अब छात्रों के रिजल्ट घोषित करने से सशर्त रोक हटा ली गई है।