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भ्रष्टाचार की हदें पार कर रहे अधिकारी, राजनीति के जाल में फसी गौमाताएँ

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Sep 3, 2018

गणेश विश्वकर्मा - यूँ तो कहने के लिए पन्ना के शहरी क्षेत्र में दो गौशालाएं हैं और उनकी जिम्मेदारी नगरपालिका पन्ना के कंधों पर है बजट की बात की जाए तो लाखों रुपए का बजट गौशालाओं के नाम पर नगरपालिका कागजों में हर महीने खर्च करती है लेकिन तस्वीर इससे थोड़ा उलट निकल कर आ रही है जहां पर गौशालाएं कीचड़ और दलदल में तब्दील हो चुकी है और गंदे और दलदल के बीच में गौमाता को रखकर भूखों को मारा जा रहा है।

नहीं बदल रही परिस्थिति

सीधे तौर पर अपनी परिस्थिति खुद बयां कर रही हैं कि आखिर गायों की जो इस स्थिति गौशालाओं के अंदर दिख रही है उससे यही साबित होता है गौ माताओं के नाम पर विधानसभा से लेकर लोकसभा में चर्चाएं तो की जाती हैं और उन्हें राजनीति का केंद्र भी बनाया जाता है लेकिन उनकी स्थिति और परिस्थिति में नहीं बदल पा रही हैं।

गौशालाओं की देखभाल का पैसा डकार रहे अधिकारी

आज भी लगातार अगर आंकड़े देखे जाएं तो गौशालाओं के अंदर सैकड़ों की संख्या में गौ माताओं की मौत हो चुकी है लेकिन इस पर किसी भी राजनेता का नहीं व् गोवंश के संरक्षकों का ध्यान जाता है जबकि सत्ता में बैठे भारतीय जनता पार्टी कुछ तथाकथित लोग NGO के माध्यम से गौशालाओं की देखभाल के के नाम पर लाखों रुपए डकार रहे हैं और राजनीति चमका रहे हैं अब सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर राजनीति छोड़ कब वह गोमाताओं की रक्षा की जाएगी।

नहीं किया जाता गायों का पोस्टमार्टम

आपको बता दें कि पन्ना शहर के अंदर हाल ही में 48 घंटे के अंदर भूख से आधा दर्जन गायों की मौत हो चुकी है और सबसे बड़ी विडंबना इस की बात यह है उन्हें मरने के बाद जंगलों में जाकर फेंक दिया जाता है जिससे उनके मौत का कारण स्पष्ट ना हो सके जबकि इसके लिए एक पूरा पशु ओषधालय बना हुआ है जहां पर गायों के शव का पोस्टमार्टम होना चाहिए और उनकी मौत का कारण पता होना चाहिए लेकिन भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए यह सब खेल खेला भ्रष्ट कर्मचारियों के द्वारा खेला जाता है।