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मनोकामनाएं पूर्ण होने पर अग्नि कुंड में नंगे पैर निकले श्रद्धालु

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Dec 13, 2018

दीपक चौरसिया : ईश्वरीय चमत्कार  के लिए विश्व प्रसिद्ध देव श्री खंडेराव अगहन सुदी अग्नि  चंपा षष्टि से आरंभ हो गया है। मेला के पहले दिन अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने पर  137 श्रद्धालु अंगारों  से दहकते अग्निकुडों में से हल्दी डालते हुए दो तीन बार पैदल निकले। आग के अंगारे आस्था के आगे फूल बन गए। यह मेला 10 दिन तक चलता है।

इस मेले की मान्यता है कि श्रद्धालु अपनी मनोकामना को लेकर मंदिर के अंदर हल्दी से उल्टी  हाथे लगाते हैं। और मनोकामना पूर्ण होने पर मंदिर के सामने खोदेे गए अग्नि कुंडों में पैदल निकलते है। एल्बम में से निकलते हैं। गुरुवार को नगर एवं देश के कोने-कोने से करीब 50000 से अधिक श्रद्धालु मेला देखने पहुंचे और अपनी आंखों से अग्निकुंडों में से श्रद्धालुओं के निकलने के साक्षी बने।

15 वीं शताब्दी में हुई थी शुरुआत-
श्री खंडेराव जी के मंदिर का निर्माण 15 से 16 वीं सदी के बीच हुआ था जब बुंदेलखंड के राजा छत्रसाल हुआ करते थे।उस समय मुगलों से युद्ध में अपनी हार की स्थिति देख कर उन्होंने बाजीराव पेशवा को पत्र लिखकर मदद मांगी उस समय बाजीराव द्वारा छत्रसाल को युद्ध मे मदद कि गई।और बुंदेलखंड को मुगलों से बचाया तब छत्रसाल द्वारा बुंदेलखंड का कुछ राज्य बतौर नजराने के तौर पर बाजीराव के हक में दिया जिसमें पंच मेहला में देवपुरी अर्थात देवरी बाजीराव के अधीन हो गई और उनके द्वारा यहां पर यशवंतराव को राजा नियुक्त किया गया यशवंतराव जी के कुलदेवता खंडेराव मार्तंड भैरव थे जो मात्र एक जगह महाराष्ट्र  के जेजोरी में है।और राजा यशवंतराव हर वर्ष महाराष्ट्र की जेजुरी में देव खंडेराव के दर्शन के लिए जाया करते थे।और अक्सर जेजोरी जाते समय यशवंत राव देवरी में बाबूराव वैद्य के यहाँ रात्रि बिश्राम किया करते थे ।जब राजा यशवंतराव बृद्ध हो गए और उन्होंने देव खंडेराव से प्रार्थना की और कहा अब मैं आपके दर्शन हेतु जेजोरी नहीं आ पाऊंगा तब देव खंडेराव ने उनको स्वप्न में दर्शन देकर एक जलती हुई जोत दिखी और एक खास जगह दिखी जो देवरी में है और बताया कि मैं यहां पांच पिंडों के रूप में बाईस हाथ की गहराई पर हूँ जब राजा यशवंत ने उस जगह पर खुदाई करवाई तो पांच पिंडों के रूप में मय चरण के प्राप्त हुई। जिसके बाद उसी जगह पर उन की प्राण प्रतिष्ठा की गई और 15 से 16 सदी के बीच श्री देव खंडेराव का मंदिर निर्माण कराया गया।

मंदिर में एक प्रतिमा देव खंडेराव की घोड़े पर सवार है उनकी गोद में मां विश्व सुंदरी महामाया ममः लासा बिराजमान है श्री देव अपने घोड़े की लगाम को एक हाँथ में  और एक हाथ  में खड़क तलवार धारण किए हैं लंबा जामा सिर पर पगड़ी रखे हुए हैं। मैं विराजमान हैं एक बार राजा यशवंतराव के पुत्र बीमार हो गए तब देव खंडेराव ने दर्शन देकर कहा कि हल्दी के उल्टे हाथ लगाएं और भट्टियां  खोदकर अंगारे डाल कर हाथ से हल्दी भंडार डालकर अग्नि के ऊपर से हल्दी छोड़कर निकले तो उनका पुत्र स्वस्थ हो जाएगा तब से यह प्रथा शुरू हो गई और लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर देव श्री खंडेराव जी के अग्नि मेले में से नंगे पांव आग पर से चलते हैं प्राचीन मंदिर वास्तु कला की एक अद्भुत मिसाल है मंदिर में एक विशेष छिद्र  है जिसमें साल में एक बार अगहन माह की षष्टि के दिन सूर्य की किरणें उस छिद्र के माध्यम से शिवलिंग की पांच पिंडो पर ठीक 12:00 बजे पड़ती हैं तब लोग अग्निकुंड में से निकलते हैं। 

पंडित श्री नारायण राव वैध  ने बताया कि जब नवंबर माह में चंपा षष्टि पड़ती है तब सूर्य  की किरणें शिव की पांच पिंडो पर पड़ती हैं और इस वर्ष ऐसा संयोग है की सूर्य की रोशनी शिवजी के पांच पिंडी पर पड़ेगी।और अगर दिसंबर माह में चंपाषष्ठी पड़ती है तो कई बार यह सूर्य की रोशनी पिंडो पर नहीं पड़ती उन्होंने बताया कि पहले यह मेला 3 दिन लगता था लेकिन लोगों की आस्था को देखते हुए इसको 10 दिन के लिए किया गया अब मेले का अस्तित्व खतरे में है क्योंकि ना ही मंदिर के पास जगह है। मंदिर के पुजारी नारायण राव ने बताया कि मंदिर के अधिपत्य में जो जमीन थी उसका प्रकरण हाई कोर्ट में चल रहा है और मंदिर के पक्ष में फैसला होने के बावजूद भी प्रशासन द्वारा मंदिर के लिए भूमि मुहैया कराने में देरी की जा रही है। उन्होंने बताया कि मेला परिसर मैं लगातार अतिक्रमण एवं निर्माण कार्य होने के कारण जगह संकुचित हो गई है दूर दराज से आने वाले लाखों लोगों को मेला में अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ता है।
 क्या कहते हैं श्रद्धालु-
सागर निवासी मंजू पांडे पहली बार देव खंडेराव अग्नि मेले मैं खोदे गए अग्निकुंड मैं से निकलने का अनुभव बताते हुए कहा उनकी देव खंडेराव के प्रति गहरी आस्था है और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हुई है इसलिए वह अंगारों में से निकली हूं और अगले बरस भी फिर से अंगारों में से निकलूंगी।
देवरी के निवासी श्रीमती विद्या बाई राजपूत ने बताया कि अग्नि मेला में पिछले 3 साल से अंगारों पर से निकलती आ रही हूं और उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
पूर्व विधायक सुनील जैन अपने अनुभव बताते हुए कहा कि वह पिछले 29 साल से लगातार बिना नागा की देव खंडेराव अग्नि मेले में अंगारों पर निकलता आ रहा हूं। देव श्री खंडेराव अग्नि मेले में से निकलने पर उनकी  मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। उन्होंने कहा वह देवरी क्षेत्र के विकास और अमन चैन भाईचारे के कामना को लेकर  हर साल अंगारों पर से निकलते हैं।