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उज्जैनः कृष्ण सुदामा की मित्रता का अटूट प्रतीक चिन्ह उज्जैन के नारायणा स्थित मंदिर में लगा लोगों का मेला

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Aug 23, 2019

अनिल बैरागी - जन्माष्टमी का महापर्व बड़ी धूमधाम से मनाया गया। कृष्ण सुदामा की मित्रता का अटूट प्रतीक चिन्ह उज्जैन के नारायणा स्थित मंदिर में देखने को मिला, जहां पौराणिक कथाओं के अनुसार कृष्ण सुदामा शिक्षा प्राप्त करने के लिए सांदीपनि आश्रम में आए थे। तब वे जंगल से लकड़ियां लेने के लिए नारायणा पहुंचे, लेकिन अचानक तेज बारिश होने के चलते वहीं रुक गए और जो लकड़ियों का गट्ठर था। उसे यहीं रख दिया और वह गट्ठर आज पेड़ बन दोनों की मित्रता की गाथा बयां करता है।

पूरे भारत में कृष्ण-सुदामा तीर्थ स्थल के नाम से प्रख्यात है नारायणा गांव का मंदिर

आपको बता दें कि महिदपुर से महज 14 कि.मी दूर बसे नारायणा गांव की, जो अपने आप में गाथा खुद बयां करता है। उसकी वजह है कृष्ण सुदामा की मित्रता का स्मारक जो कि मध्यप्रदेश ही नहीं, बल्की पूरे भारत में कृष्ण-सुदामा तीर्थ स्थल के नाम से प्रख्यात है। जहां कृष्ण पक्ष जन्माष्टमी महापर्व पर पूर्व प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश से लाखों भक्तों का जन सैलाब उमड़ता है। यहां कृष्ण सुदामा मित्रता के प्रतीक लकड़ियों के डॉक्टरों के दर्शन के साथ कृष्ण सुदामा की प्रतिमा के दर्शन कर, हर श्रद्धालु अपने आप को धन्य और गौरवान्वित महसूस करता है। हालांकि पूरे प्रदेश में नारायणा धाम में कृष्ण सुदामा दोनों की सामूहिक प्रतिमा इसी मंदिर में विराजते हैं, जिसकी एक झलक पाने के लिए हजारों किलोमीटर दूर से लोग दर्शन करने यहां आते हैं। वहीं सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है और ठीक रात 12:00 बजे भगवान कृष्ण के जन्म होने के साथ ही पूरा मंदिर पंडाल भक्ति में और भक्ति गीतों से रंग जाता है।