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जन्मजात बीमारी से ग्रस्त बच्ची का इलाज कराने में असमर्थ गरीब पिता

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Feb 25, 2019

शिवराम बर्मन- डिंडोरी जिले में लगातार प्रशासनिक योजनाओं के क्रियान्वयन की कलाइयां खुलती जा रही हैं। वहीं जिले के आला अधिकारी प्रशासनिक योजनाओं को कागजों में ही पूरा कर उनके सफल क्रियान्वयन को दर्शाते हैं। जबकि ज़मीनी हकीकत कुछ और ही हालात बयां करती है। मध्य प्रदेश सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं जैसी महत्वपूर्ण योजनाओं की ज़मीनी हकीकत ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल जाती है। जहां सरकार की ओर से करोड़ों रूपये ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर खर्च किए जा रहे हैं। गौरतलब है कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासनिक स्तर पर सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार नहीं किया जाता, जिससे ग्रामीण क्षेत्र वासियों को शासकीय स्वास्थ्य योजनाओं के बारे में जानकारी ही नहीं लग पाती। इस कारण ग्रामीणों को सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं से वंचित रहना पड़ता है।

4 वर्ष की गौरी मरावी जन्मजात बीमारी से ग्रस्त

मामला जनपद डिंडोरी के ग्राम पंचायत नेवसा के दीयाबार ग्राम खाले टोला का है, जहां 4 वर्ष की गौरी मरावी जन्मजात बीमारी से ग्रस्त है। बतला दें कि गौरी का जन्म जिला चिकित्सालय में हुआ था। जन्म से ही गौरी मरावी के अंग पूर्ण रूप से विकसित नहीं थे। मासूम का इलाज उसके परिजनों के व्दारा अनेकों बार करवाया गया, लेकिन मासूम गौरी की बीमारी जस के तस बनी हुई है। पिता ने तंग हाल गरीबी में भी हजारों रुपये अपनी मासूम बच्ची को ठीक कराने के लिए लगा दिया। पैसे की तंगी के चलते गौरी के पिता ने आगे इलाज कराने में अपनी असमर्थता जाहिर कर दी। हालात यह है कि जन्मजात बीमारी से ग्रस्त बच्ची अब ठीक से देख भी नहीं पाती जिसके कारण उसे कठनाईयों का सामना करना पड़ता है।

उम्र के साथ बढ़ रही हैं गौरी की परेशानियां

मासूम बच्ची की उम्र के साथ साथ उसकी परेशानियां भी बढ़ती जा रही हैं। आलम यह है कि मासूम गौरी के साथ उसके हम उम्र बच्चे खेलना कूदना भी पसंद नहीं करते। बच्चे गौरी से डर कर भाग जाते हैं। उसकी बीमारी व लोगों की ओछी मानसिकता के चलते हर समय परिवार का एक सदस्य उसके साथ रहता है। पिता परशादी मरावी ने बतलाया कि उसकी बच्ची से गांव के सभी बच्चे डरते हैं। बीमारी के चलते गौरी का दाखिला स्कूल में अभी तक नहीं करवाया गया है। गौरी के पिता की पांच संताने हैं जिसमें गौरी सबसे छोटी है। जन्मजात बीमारी की शिकार मासूम के चेहरे की रंगत दिनोंदिन बिगड़ती जा रही है। जिसकी चिंता उसके माता पिता को हर समय बनी रहती है। मासूम होने के चलते गौरी अपना दर्द भी बया नहीं कर पाती। गौरी के पिता ने अब जिले के उच्चाधिकारियों व प्रदेश सरकार से सहायता दिलाने की मांग की है। जिससे उसकी बच्ची सामान्य बच्चों की तरह स्वस्थ हो सके।