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शिवराज सरकार की खुली पोल, कीचड़ भरे रास्ते से जान जोखिम में डाल कर बच्चे जा रहे स्कूल

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Jul 29, 2018

बलवंत भट्ट - जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूरी पर स्थित दलावदा गुडभेली गांव का यह शासकीय स्कूल जहां दो गांव के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं घर से निकलते ही स्कूल पहुंचने के लिए कीचड़ भरे रास्ते का जोखम तो स्कूल पहुंच कर पढ़ाई करने के लिए छाता तानकर पढ़ने का जोखम यह सब इन बच्चों के लिए आम बात है कक्षा पहली से लगाकर पांचवी तक के छोटे-छोटे बच्चे घर से निकल कर जब स्कूल आते हैं तो उन्हें ऐसे रास्ते पर होकर गुजरना पड़ता है जो किसी खतरे से कम नहीं पूरा रास्ते में कीचड़ पसरा हुआ है तो वही ज्यादा बारिश होने पर वह रास्ता नाले में भी तब्दील हो जाता है।

क्लास में भी छाते तान कर बच्चे कर रहे पढाई

इतना जोखिम उठाने के बाद भी जब बच्चे स्कूल पहुंचते हैं तो वहां के हालात और ज्यादा बुरे हैं दो कमरे के इस स्कूल में छत तो है लेकिन खुले आसमान की तरह जब तेज बारिश होने लग जाती है तो दोनों ही कमरों की छत टपकने लगती है बारिश का ज़हन उठाते हुए बच्चे स्कूल में ही छाता तानकर बैठ जाते हैं और पढ़ाई करते हैं यह तस्वीरें यह बयां कर रही है कि मध्य प्रदेश में शिक्षा का स्तर किस तरह ऊपर की तरफ उठ रहा है जब कम बारिश होती है तो बच्चे क्लास में ही छाता तानकर पढ़ाई करते हैं।

नही है स्कूलो में किसी भी तरह की व्यवस्था

लेकिन जब ज्यादा बारिश होने लग जाती है तो वह छाता भी उनको गीले होने से नहीं रोक पाता क्योंकि स्कूल की छत ज्यादा टपकने के कारण क्लास में पानी ही पानी हो जाता है तब शिक्षक को भी असमय बच्चों की छुट्टी करना पड़ती है क्योंकि क्लास रूम में पानी ही पानी होने के बाद बच्चों को नाला पार करने का भी डर सताता है स्कूल में न तो बाथरूम है ना ही स्कूल में लाइट, बाथरूम के लिए भी बच्चो को स्कूल के पीछे खेतो में जाना पड़ता है जहाँ इस बारिश के मौसम में जहरीले जानवर पनपते है।

कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे बच्चे

इस पूरे घटनाक्रम में ऊपर से लगातार लगाकर निचले स्तर तक के अधिकारियों की साफ तौर पर लापरवाही नजर आ रही है क्योंकि बच्चों के साथ कोई बड़ी घटना हो गई तो उसका जिम्मेदार कौन क्या तब भी सिर्फ जांच के नाम पर बड़े बड़े दावे करने में अधिकारी लग जाएंगे मध्य प्रदेश सरकार तो स्कूल और बच्चों की पढ़ाई के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन जमीनी स्तर पर अधिकारी और कर्मचारियों की लापरवाही का खामियाजा सरकार को समय-समय पर भुगतना पड़ रहा है।