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चित्रकूटः 5 दिवसीय दीवाली मेला का आरंभ, देश के कई हिस्सों से पहुँच रहे हैं श्रद्धालु

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Oct 26, 2019

रामनरेश श्रीवास्तव - ऐतिहासिक तीर्थ चित्रकूट में 5 दिवसीय दीवाली मेला आज से शुरू हो गया। देश के कई हिस्सों से श्रद्धालु पहुँच रहे हैं। अब तक लाखों श्रद्धालुओं ने किया मंदाकिनी स्नान व् किया कामदगिरि की परिक्रमा। बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा की दृष्टि से प्रशासन द्वारा करीब 2 हजार की संख्या में पुलिस बल लगाया गया। वहीँ यूपी प्रशासन द्वारा मेला क्षेत्र में करीब 2500 की तादाद में फ़ोर्स बल लगाया गया है। तथा कई मेला स्पेशल ट्रेन भी चलाई जा रही हैं। भारी वाहनों को अलग अलग बाईपास मार्ग से परिवर्तित किया जा रहा है वहीँ अस्थायी मेला बस स्टैंड के अलावा भीड़ को नियंत्रित करने के लिए जगह जगह बेरिकेटिंग की व्यवस्था की गयी है। तथा साफ़ सफाई, पानी,  विजली तथा आकस्मिक चिकित्सा के लिए चिकित्सकों की कई टीम मेला क्षेत्र में लगाई गयी हैं। बिछड़ों को मिलाने के लिए खोया पाया केंद्र बनाए गए हैं। मेला की व्यवस्था में लगे अधिकारियों का कहना है कि दीपावाली में देश भर से करीब 35 से 40 लाख श्रद्धालु भगवान् कामतानाथ और कामदगिरि में दीपदान करने आते है उसी हिसाब से सुविधाए की गयी हैं।

धर्मनगरी चित्रकूट का पौराणिक महत्व

धर्मनगरी चित्रकूट का पौराणिक महत्व है। प्रभु श्रीराम ने अपने 14 वर्ष के वनवास काल के दौरान साढ़े 11 वर्ष का समय चित्रकूट में बिताया था। उन्होंने चित्रकूट के भगवान श्री कामतानाथजी की उपासना पूजा अर्चना की थी। यही कारण है कि हजारों वर्षों बाद कलयुग में भी श्री कामतानाथजी सभी भक्तों की इच्छाओं औऱ मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी के जन्म की साक्षी भी रही है। यह धर्मनगरी, प्रभुश्री राम को पाने की इच्छा का संकल्प मन में लेकर बाबा तुलसीदास ने भी चित्रकूट के घाट में कुटिया बनाकर निवास किया था और कामतानाथजी की पूजा अर्चना की थी। तब हनुमान जी के सहयोग से उन्हें इसी चित्रकूट के रामघाट पर प्रभु श्रीराम के दिव्य स्वरूप का अलौकिक दर्शन हुआ था। उनके द्वारा लिखी गई श्री रामचरितमानस का कुछ अंश चित्रकूट में भी लिखा गया था। लोग कामतानाथ पर्वत की पंचकोशी परिक्रमा लगाने के पश्चात, माता सती अनसूया के प्रताप से निकली मां मंदाकिनी में स्नान, दान कर संध्या को दीपदान करते हैं, इसके बाद कामदगिरि में दीपदान करते हैं।